‘हिंदुओं के पास इतनी पावर कि बना सकते हैं अमेरिका का अगला राष्ट्रपति’- सांसद रिच मैककॉर्मिक

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न्यूयोर्क: अमेरिका के कैपिटल हिल में आयोजित पहले हिंदू-अमेरिकी शिखर सम्मेलन को समर्थन देने पहुंचे रिपब्लिकन सांसद मैककॉर्मिक ने कहा कि अमेरिका के विकास में इस समुदाय का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि इस समुदाय के पास इतनी शक्ति है कि वे तय कर सकते हैं कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा.

संपन्न हुए इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका के कई सांसदों और राजनीतिक वकालत समूहों ने शामिल होकर समर्थन दिया. शिखर सम्मेलन की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारों से हुई.

Americans4Hindus द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन में देश भर से हिंदू समुदाय के नेताओं ने भाग लिया. वहीं, 20 अन्य संगठनों ने भी इस सम्मेलन का समर्थन किया था. Americans4Hindus के चेयरपर्सन और हिंदू- अमेरिकी शिखर सम्मेलन के मुख्य आयोजक रोमेस जापरा (Romesh Japra) का कहना है, ” हमारे हिंदू मूल्य पूरी तरह से अमेरिकी संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप हैं. अमेरिकी नागरिक भी गीता का पाठ करते हैं. इसलिए हम हिंदू-अमेरिकियों को आवाज देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”

जापरा ने एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, “यह अब तक का पहला शिखर सम्मेलन है जिसे हम राजनीतिक जुड़ाव के लिए आयोजित कर रहे हैं. हमने हर क्षेत्र में काफी अच्छा काम किया है. लेकिन राजनीतिक रूप से हम काफी पीछे हैं. हमें लगता है कि हिंदू-अमेरिकियों के साथ भेदभाव किया जाता है. इसलिए हमने सोचा कि सभी संगठनों को एक साथ लाना एक अच्छा विचार है.”

हिंदू-अमेरिकी समुदाय के पास अमेरिका का राष्ट्रपति तय करने की शक्तिः मैककॉर्मिक

सम्मेलन में शामिल हुए रिपब्लिकन सांसद रिच मैककॉर्मिक ने कहा, ” इस प्रवासी आबादी के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है. इन्होंने अमेरिका में बहुत कुछ जोड़ा है. सब कुछ बेहतरीन. मैं इस बात को बार-बार कहता हूं कि यह समुदाय अगर जागरुक हो जाता है और उन्हें ये एहसास हो जाता है कि उनके पास कितनी ताकत है तो वह अमेरिका का अगला राष्ट्रपति तय कर सकते हैं.

उन्होंने आगे कहा, “आप भी यह बात समझते हैं. मैं यह सिर्फ कह नहीं रहा हूं. आप जो हैं, उसके पीछे एक वास्तविक शक्ति है. यदि आप अमेरिका के सबसे सफल डेमोग्राफिक को देखेंगे तो आप रिपब्लिकन यहूदी गठबंधन के बारे में जरूर सोचते होंगे. जबकि हकीकत यह है कि सिर्फ 30 प्रतिशत यहूदी ही रिपब्लिकन पार्टी को वोट देते हैं. लेकिन सभी रिपब्लिकन उम्मीदवार यहूदी गठबंधन के सामने अपनी बात रखते हैं.”

सम्मेलन के दौरान रिच मैककॉर्मिक ने कहा, “वे (रिपब्लिकन यहूदी गठबंधन) उतने सफल नहीं हैं, जितना आप हैं. इस बारे में सोचिए. एक बार जब आप अपनी राजनीतिक शक्ति दिखाते हैं, तो उसका असर भी दिखने लगता है.

जब आप नेता के तौर पर खुद को तैयार करते हैं और नेताओं से मुलाकात करते हैं, तो आप देखेंगे कि आप वास्तव में कितने शक्तिशाली हैं. आप न केवल अपने समुदाय बल्कि अमेरिका के सभी समुदाय की भविष्य की पीढ़ियों को बनाने की क्षमता रखेंगे. आप कानून बनाएंगे. आप अमेरिका के लिए एक विजन तैयार करेंगे जो हमें दशकों तक सफल देश के रूप में स्थापित करेगा. यह सिर्फ आपके बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि हर अमेरिकी बच्चे को लाभान्वित करेगा. यही कारण है कि मैं इस समुदाय से प्यार करता हूं.”

मैककॉर्मिक अमेरिकी राज्य जॉर्जिया के 6 जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने अगस्त महीने के लिए एक द्वदलीय संसद प्रतिनिधिमंडल की भी घोषणा की है.

अमेरिका में भारतीयों का बढ़ता वर्चस्व

पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में भारतीय और हिंदुओं का वर्चस्व बढ़ा है. 2015 की प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में आबादी के लिहाज से हिंदू धर्म मानने वाले लोगों की संख्या चौथे पायदान पहुंच गई है. साल 2007 से 2014 के बीच हिंदुओं की आबादी में लगभग 85 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. 2007 में अमेरिकी हिंदुओं की संख्या लगभग 0.4 फीसदी थी, जो 2014 में बढ़कर 0.7 फीसदी हो गई थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में लगभग 20 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी हैं जिन्हें वोट देने का अधिकार प्राप्त है. हालांकि, इसमें सभी हिंदू नहीं हैं. लेकिन 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार हिंदू कार्ड खेला था. 2016 में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा था, “हम हिंदू से प्यार करते हैं. हम भारत से प्यार करते हैं. और मैं हिंदू धर्म और भारत का बहुत बड़ा फैन हूं.”

चुनाव के दौरान ट्रंप ने वादा किया था कि अगर वो राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो वो भारतीय और हिंदू समुदाय के साथ अच्छी दोस्ती निभाएंगे. ट्रंप ने वह चुनाव जीता. हालांकि, पोस्ट इलेक्शन सर्वे में बताया गया कि सिर्फ 16 प्रतिशत हिंदुओं ने ही ट्रंप को वोट किया था. ट्रंप सरकार ने चुनाव जीतने के बाद 80 भारतीय अमेरिकियों को प्रमुख पद सौंपे.

उसके बाद 2020 के चुनाव में भी भारतीय मूल की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस के एक रिश्तेदार ने एक ट्वीट में कमला हैरिस को दुर्गा के रूप में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन को शेर का मुखौटा पहने हुए और डोनाल्ड ट्रंप को महिषासुर के रूप में दिखाया था. सरकार बनने के बाद बाइडेन सरकार ने 130 से ज्यादा भारतीय-अमेरिकियों को प्रमुख पद सौंपे.

प्रमुख पदों पर हिंदुओं का वर्चस्व

विश्व की प्रमुख कंपनियों में शामिल गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के कार्यकारी अध्यक्ष सीईओ सत्या नडेला और एडोब के शांतनु नारायण भी हिंदू समुदाय से आते हैं. इसके अलावा अमेरिकी संसद में भी हिंदुओं की अच्छी खासी संख्या है. राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना और प्रमिला जयपाल हिंदू समुदाय से आते हैं. इन्हें एक या दो नहीं बल्कि तीन प्रमुख हाउस पैनल का सदस्य नियुक्त किया गया है.

तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका जाएंगे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह 21 जून को तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे पर जा रहे हैं. पीएम मोदी की यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान मोदी 21 जून की रात को वॉशिंगटन पहुंचेंगे. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन डिनर करेंगे, यह डिनर बेहद निजी होगा.

23 जून को पीएम मोदी अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के तीसरे ऐसे नेता होंगे जिनके नाम अमेरिकी कांग्रेस को दो बार संबोधन करने का गौरव प्राप्त होगा. पीएम मोदी इससे पहले 2016 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित कर चुके हैं. इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विस्टन चर्चिल साल 1941, 1943 और 1952 में अमेरिकी संसद को संबोधित कर चुके हैं. वहीं, नेल्सन मंडेला 1990 और 1994 में अमेरिकी संसद को संबोधित कर चुके हैं.

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