‘केबीसी लॉटरी’ के नाम पर महिला से लूटे 39 लाख, नोएडा के काॅल सेंटर का भंडाफोड़

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हैदराबाद: हैदराबाद की एक महिला को साइबर जालसाजों (cyber crime) से ‘केबीसी लॉटरी’ के नाम पर 39 लाख रुपये लूट लिये। हैदराबाद सिटी की साइबर क्राइम पुलिस ने राकेश कुमार को धोखाधड़ी के आरोप में पटना से गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, खैरताबाद क्षेत्र की एक गृहिणी को 2 अक्टूबर को एक फोन आया और फोन करने वाले ने उन्हें सूचित किया कि उन्होंने केबीसी द्वारा लॉटरी जीती है और उन्हें निकासी की प्रक्रिया भी बताई।

फोन करने वाले ने उन्हें विभिन्न शुल्क के रूप में राशि जमा करने की सलाह दी। बैंक मैनेजर के वेश में कुछ अन्य लोगों ने भी उनसे बात की और पैसे भेजने के लिए राजी किया। उन्होंने अलग-अलग आरोपियों के नाम पर कुल 39 लाख रुपये भेजे, लेकिन बाद में एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है। महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और पटना में आरोपी की गिरफ्तारी के साथ मामले का पर्दाफाश किया। पुलिस ने 16 मोबाइल फोन, 73 डेबिट कार्ड, 30 सिम कार्ड, 11 बैंक पासबुक और दो चेक बुक जब्त किए हैं।

पुलिस ने लोगों को आगाह किया है कि केबीसी लॉटरी या नैप्टोल जैसी किसी भी लॉटरी और अज्ञात व्यक्तियों द्वारा घोषित लकी ड्रा पर विश्वास ना करें। एक अन्य मामले में साइबर क्राइम (cyber crime) पुलिस ने इनामी अंक के नाम पर एक महिला को ठगने के आरोप में नोएडा से चार महिलाओं समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। कंचनबाग निवासी एक महिला को एसबीआई क्रेडिट कार्ड डिवीजन से होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति का फोन आया और उन्होंने रिवॉर्ड पॉइंट को नकद में भुनाने की पेशकश की। पीड़िता ने फोन करने वाले के निर्देशों का पालन किया और अपने फोन पर आए ओटीपी भी बता दिया। उन्हें तीन लेन-देन में कुल 1 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

पीड़िता की शिकायत की जांच के दौरान पुलिस ने नोएडा में एक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ कर 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसका इस्तेमाल साइबर ठगी (cyber crime) के लिए किया जा रहा था। आरोपी नीरज कुमार, 35, रोहित कुमार, 28, आकाश कुमार, 23, अजय सिंह, 23, प्रज्ञा टंडन, 22, सचान वैष्णवी, 19, हिमांशी कटेरी, 22, राधिका धमीजा, 22, प्रियंका शर्मा, 28 और प्रीति कुमारी सिन्हा, 20 हैं। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आरोपी तेलंगाना भर में 18 मामलों और पूरे भारत में 101 अपराधों में शामिल हैं।

गिरोह के तौर-तरीकों के बारे में बताते हुए, पुलिस ने कहा कि वे पीड़ितों को बुलाते हैं और खुद को बैंक अधिकारियों के रूप में पेश करते हैं। वे पीड़ितों को उनके क्रेडिट कार्ड पर रिवॉर्ड प्वॉइंट के नाम पर लालच देते हैं। बाद में वे पीड़ितों को रिवॉर्ड प्वाइंट भुनाने के लिए अपने कार्ड के विवरण प्रकट करने के लिए मना लेते हैं। जब पीड़ित अपने कार्ड के विवरण देते हैं, तो आरोपी पीओएस लेनदेन करते हैं और पीड़ितों से ओटीपी प्राप्त करते हैं और लेनदेन को पूरा करते हैं।

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