कब है जया एकादशी, शुभ-मुहूर्त में पीले वस्त्र पहनकर करें आराधना

0 85

नई दिल्ली : हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। बता दें कि साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। ऐसे में हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एकादशी पड़ती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु से साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिल जाती है और भय से मुक्ति मिल जाती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 19 फरवरी को सुबह 08 बजकर 50 मिनट से 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। ऐसे में जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा।

इस बार जया एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन आयुष्मान योग के साथ त्रिपुष्कर और प्रीति योग बन रहा है। त्रिपुष्कर योग दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से पूरे दिन रहने वाला है। जया एकादशी के महत्व के बारे में पद्म पुराण और भविस्योथर पुराण में विस्तार से किया गया है। श्रीकृष्ण ने स्वयं पांडवों के सबसे बड़े पुत्र युधिष्ठिर को इस शुभ एकादशी व्रत की महिमा और पालन करने की विधि का भी वर्णन किया। बता दें कि जया एकादशी व्रत को बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति सबसे जघन्य पापों यहां तक कि ब्रह्महत्या से भी मुक्त कर सकता है। इस व्रत को करने से अन्य एकादशी से दोगुना फल की प्राप्ति होती है। जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी और शिव जी की पूजा करना शुभ माना जाता है।

जया एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें पीला चंदन, अक्षत, फूल, माला, भोग लगाने के साथ तुलसी दल चढ़ाएं। इसके साथ ही घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत एकादशी व्रत कथा, विष्णु चालीसा, मंत्र का पाठ करने के साथ विष्णु सहस्रनाम और नारायण स्तोत्र का पाठ कर लें। अंत में विधिवत आरती करने के साथ भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.