अब Online नहीं मंगा पाएंगे दवाइयां! ई-फार्मेसी ऐप्स पर प्रतिबंध की तैयारी

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नई दिल्ली (New Delhi)। सब्जी (Vegetable) खत्म हो गई ऑनलाइन (Online) मंगा लो, भूख लगी है खाना ऑनलाइन मंगा लो, नए कपड़े खरीदने हैं ऑनलाइन खरीद लो. आज भारत में शायद ही कोई ऐसी चीज हो जो ऑनलाइन ना मंगवाई जा सकती हो। सबकुछ ऑनलाइन (everything is sold online) बिक रहा है. लेकिन हो सकता है कि जल्द ही आप घर बैठे ऑनलाइन दवाइयां नहीं मंगवा पाएं।

केंद्र सरकार के विश्वस्त और ऑफिशियल सूत्रों से पता चला है कि देश में ऑनलाइन दवाइयां बेच रहीं ई-फार्मेसी ऐप्स (E-Pharmacy Apps) को बैन किया जाने वाला है. भारत सरकार के Group Of Ministers ने स्वास्थ्य मंत्रालय को भारत में ई-फार्मेसी Apps को बंद करने की सलाह दी है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी माना है कि वो भारत में ई-फार्मेसी Apps और वेबसाइट के पक्ष में नहीं है।

ई-फार्मा कंपनियों पर बैन की तैयारी!
दवाओं की डोर-स्टेप डिलीवरी देने वाली ई-फार्मा कंपनियों ने ऐसा क्या कर दिया है कि उन्हें भारत में पूरी तरह बैन कर देने की मांग उठ रही है। भारत के Group Of Ministers ने इसकी दो वजह बताईं हैं। पहला कारण है- E-Pharmacy Apps और वेबसाइट्स पर वो दवाएं भी बिना डॉक्टर के Prescription के बेचीं जा रही हैं जिन्हें कानूनन बिना डॉक्टर के Prescription के नहीं बेचा जा सकता है। इन दवाओं को मेडिकल भाषा में Schedule H, Schedule X और Schedule H1 ड्रग कहा जाता है।

क्या है एक्शन की वजह?
दूसरा कारण है- E-Pharmacy Apps चलाने वाली कंपनियां मरीजों के पर्सनल हेल्थ डेटा को स्टोर कर रही हैं. भारत के मरीजों का ये डेटा विज्ञापन कंपनियों और विदेशी दवा कंपनियों को बेचा जा रहा है. इन दोनों ही वजह से E-Pharmacy कंपनियों को बैन करने की तैयारी हो रही है और ऐसा भी नहीं है कि ई-फार्मा कंपनियों को उनकी इस Malpractices के लिए पहले कभी कोई चेतावनी नहीं दी गई है।

DGCI ने कंपनियों को दिया नोटिस
पिछले ही महीने 8 फरवरी को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने भारत में बिजनेस कर रहीं 20 ई-फार्मा कंपनियों को नोटिस देते हुए पूछा था कि ई-फार्मेसी कंपनियां बिना वैध लाइसेंस के दवा कैसे बेच सकती हैं? क्योंकि भारत में Drug and Cosmetic Act 1940 और Drug Rules 1945 के तहत Schedule H, Schedule X और Schedule H1 दवाएं बेचने के लिए वैध Licence की जरूरत पड़ती है और आपके आसपास मौजूद Pharmacy की दुकानों को यह दवाएं बेचने के लिए यह लाइसेंस एक निश्चित फीस देने के बाद लेना होता है।

DGCI का नोटिस जिन ई-फार्मा कंपनियों को भेजा गया था उनमें AMAZON, FLIPKART, TATA 1MG, NETMEDS, PHARMEASY का नाम शामिल है. इस नोटिस के आखिरी पैराग्राफ में साफ-साफ लिखा है कि कंपनियों को नोटिस मिलने के दो दिन के भीतर जवाब देना है और अगर कंपनियां जवाब नहीं देतीं तो ये मान लिया जाएगा कि कंपनियों के पास अपने बचाव में कहने के लिए कुछ नहीं है इसलिए सरकार उनके खिलाफ अगला एक्शन लेगी।

लेकिन जब कंपनियों ने नोटिस का टाल-मटोल तरीके से जवाब दिया तो मजबूरन सरकार को अगले एक्शन की तैयारी करनी पड़ी. इसके लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की मीटिंग हुई. जिसमें ये सुझाव दिया गया कि ई-फार्मा कंपनियों को भारत में पूरी तरह बैन कर दिया जाना चाहिए. भारत सरकार की PHARMACY COUNCIL OF INDIA यानी PCI का भी मानना है कि भारत में E-PHARMACY कंपनियां बद होनी चाहिए। PCI के अध्यक्ष डॉक्टर मोंटू पटेल ने E-PHARMACY कंपनियों के बिजनेस मॉडल पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

ई-फार्मा कंपनियों पर बिना डॉक्टर के पर्चे के धड़ल्ले से दवाओं को बेचा जा रहा है। आपको मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टरी पर्चे के ना मिलें आप आसानी से उन्हें ऑनलाइन खरीद सकते हैं। ई-फार्मा कंपनियां इस तरह गलत तरीके से ऑनलाइन दवाइयां बेच रही हैं। भारत में दवाओं के बिजनेस को कंट्रोल करने वाले कानून आजादी से भी पहले के हैं. इसलिए Drug and Cosmetic Act 1940 और Drug Rules 1945 के सारे प्रावधान ऑफलाइन दवा की दुकानों के लिए बने हैं. ऑनलाइन दवाओं के बाजार को कंट्रोल करने के लिए अंग्रेजों के जमाने के इन कानूनों में कोई प्रावधान है ही नहीं. इसी बात का फायदा उठाकर ई-फार्मा कंपनियां मनमर्जी से दवाएं बेच रही हैं।

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