IMF के हाथ पाक की चाबी, महंगाई के कारण डिफॉल्ट हो सकता है पाकिस्तान

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इस्‍लामाबाद : महंगाई के कारण पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था कंगाल होने के कगार पर पहुंच चुकी है। महंगाई ऐसी कि यहां लोगों को खाने के लिए लाले पड़ गए हैं। ऐसे में पाकिस्तानी सरकार दुनियाभर के देशों के सामने हाथ फैलाकर मदद की गुहार लगा रही है, लेकिन आतंक को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को कोई भी मदद देने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि अब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए लगातार कर्ज की मांग कर रहे हैं।

मीडिया खबरें की माने तो पाकिस्तान की मीडिया में आजकल ये खबर चल रही है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल जरदारी को शंघाई कॉपरेशन के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए भेजा गया न्योता बातचीत शुरू करने का एक संकेत है. हालांकि, जमीनी हालात कुछ अलग हैं। इस बीच ब्रिटिश पब्लिकेशन फाइनेंशियल टाइम्स ने चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ हुए सौदे पर सहमति नहीं बना पाई तो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के देश की अर्थव्यवस्था के पतन का खतरा है।

बता दें कि 2023 में SCO के अध्यक्ष के तौर पर यह भारत की जिम्मेदारी है कि वह इस साल होने वाले SCO समिट में सभी सदस्यों को निमंत्रण दे इस बीच पाकिस्तान को जिस बात पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, वह है उसका बड़ा आर्थिक संकट. और आने वाले महीनों में पाकिस्तान के आर्थिक हालात और बिगड़ सकते हैं।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद बुरे दौर से गुजर रही है ऐसे में दक्षिण एशियाई देश की सबसे बड़ी प्राथमिकता कर्ज से छुटकारा दिलाना है। IMF ने पाकिस्तान को लोन देने के लिए बेहद सख्त शर्तें रखी हैं. इसके लिए पाकिस्तान के पीएम शरीफ को बिजली टैरिफ बढ़ाना होगा और रेवेन्यू जुटाने के लिए ज्यादा टैक्स लगाना होगा. इतने सख्त कदम उठाना पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के लिए बेहद ज्यादा मुश्किल होगा, क्योंकि इससे उसे भारी राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ेगा।

इस बीच ब्रिटिश पब्लिकेशन फाइनेंशियल टाइम्स ने चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ हुए सौदे पर सहमति नहीं बना पाई तो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के देश की अर्थव्यवस्था के पतन का खतरा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान कब तक दिवालिया हो सकता है।

अगर उसे यह मदद मिल भी जाती है, तो भी अर्थव्यवस्था मुश्किल में ही फंसी रहेगी। आईएमएफ से मदद मिलने के बाद अर्थव्यवस्था केवल कुछ महीनों तक ही ठीक स्थिति में रहेगी, शायद जून 2023 तक. पाकिस्तान को अगले छह महीनों के दौरान करीब 10 अरब डॉलर की जरूरत होगी. आईएमएफ प्रोग्राम के अलावा कई दूसरे देशों से भी मदद मिलने के बाद ही वे इस राशि को जुटा सकेंगे. लेकिन यह राशि केवल जून तक ही काम आएगी।

अगले वित्त वर्ष में, पाकिस्तान को 30 अरब डॉलर या ज्यादा की और जरूरत पड़ेगी इससे पहले ही आईएमएफ मदद के लिए बेहद सख्त शर्तें रख रहा है। इस शर्तों का नतीजा सिर्फ राजनितिक तौर पर नुकसानदेह नहीं, बल्कि वित्तीय तौर पर भी खतरनाक होगा. आने वाले समय में महंगाई के बढ़ने की भी उम्मीद है। महंगाई बढ़कर 40 से 50 फीसदी तक पहुंच सकती है।

आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान में तेल की कीमतों में उछाल आएगा, पावर टैरिफ बढ़ेगा और गैस की कीमतों में भी उछाल आएगा. इसके अलावा पाकिस्तानी रुपया भी बड़े धड़ाम से गिरेगा. कुछ जानकारों का कहना है कि पाकिस्तानी रुपया कुछ महीनों में 300 के आंकड़े को पार कर सकता है. इसकी वजह से देश में भयंकर महंगाई देखने को मिलेगी, जो अभी भी लोगों को परेशान कर रही है।

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