नई दिल्ली : रूस के कैलिनिनग्राद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी समेत अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में नए मल्टी-रोल स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘आईएनएस तुशिल’ (INS Tushil) को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. यंतर शिपयार्ड में हुए इस कमीशनिंग समारोह में रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘आईएनएस तुशिल भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का एक गौरवपूर्ण प्रमाण है. यह भारत और रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और रूस के रिश्ते साझा मूल्यों, आपसी विश्वास और रणनीतिक साझेदारी की डोर से बंधे हैं. उन्होंने कहा, ‘मिशन SAGAR (Security and Growth for All in the Region), हिंद महासागर क्षेत्र में सामूहिक सुरक्षा, समुद्री सहयोग और सतत विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है; इस प्रयास में हमें हमेशा रूस का समर्थन प्राप्त हुआ है.’
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन को रूस से हमेशा समर्थन मिलता है. उन्होंने इसे भारत और रूस के बीच गहरी दोस्ती का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण बताया. रक्षा मंत्री ने कहा कि आईएनएस तुशिल समेत कई जहाजों में ‘मेड इन इंडिया’ कंटेंट लगातार बढ़ रहा है. यह जहाज रूसी और भारतीय उद्योगों की सफल साझेदारी का एक बड़ा प्रमाण है. यह तकनीकी उत्कृष्टता की दिशा में भारत की यात्रा का उदाहरण देता है.
आईएनएस तुशिल हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की सैन्य क्षमता को बढ़ाएगा. इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में चीनी नौसेना की गतिविधियां बढ़ी हैं. इस जंगी जहाज का निर्माण 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के समझौते के तहत रूस में किया गया है. भारत ने अपनी नौसेना के लिए चार ‘स्टील्थ फ्रिगेट’ को लेकर 2016 में रूस के साथ यह समझौता किया था. इस समझौते के तहत, दो युद्धपोतों का निर्माण रूस में किया जाना था, जबकि अन्य दो का निर्माण भारत में किया जाना था.
आईएनएस तुशिल 125 मीटर लंबा, 3900 टन वजनी है. जहाज का डिजाइन इसे रडार से बचने की क्षमता और बेहतर स्थिरता प्रदान करता है. भारतीय नौसेना के विशेषज्ञ इंजीनियरों और रूसी शिप डिजाइन कंपनी सेवरनॉय डिजाइन ब्यूरो (Severnoye Design Bureau) के सहयोग से, INS तुशिल में स्वदेशी सामग्री को 26 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है और भारत निर्मित सिस्टम्स की संख्या बढ़कर 33 हो गई है, जो पहले की तुलना में दोगुनी से अधिक है. इस जहाज के निर्माण में प्रमुख भारतीय कंपनियां ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम, एल्कॉम मरीन, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया और कई अन्य ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरर के रूप में शामिल थीं.