Corona Lockdown:क्या अब कोरोना से बचने के लिए एक मात्र हल है घर में कैद होना , क्या कभी कोई और हल निकल पाएगा

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Corona Lockdown:आज हमारा देश कोरोना से परेशान है । कोरोना की लहर खत्म होने का नाम नही ले रही है , एक के बाद एक लहर लौट कर वापस आ जाती है , लोग जैसे-जैसे वापस ट्रेक पर आते है वैसे ही कोरोना उन्हे वापस खींच लाता है ।
लेकिन इस बड़ी आपदा से निपटने का अब लोगो पर एक ही विकल्प रह गया है घर में कैद हो जाना । तो अब सिर्फ कोरोना का कहर से क्या हमें घर की चार दिवारी से बंध कर रहना पड़ेगा ।

भारत मे 737 जिलों में 377 जिले कोरोना से परेशान है । जबकि देश में 5 ऐसे राज्य है जहां कोरोना संक्रमण ने 1000 से ज्यादा केस पार कर चुके है । ये वो सरकारी आंकड़े है ,जिनका सैम्पल टेस्ट बड़ा ही धीरे कराया जा रहा है । जैसे जैसे टेस्ट हो रहे है आंकड़े फिर से बढ़ने लगे है ।
देश में कोरोना संक्रमित के दुगने होने की रफ्तार दुनिया के बाकी बड़े देशो से भारत में काफी कम है ।
ऐसे में सबसे अहम और गौर करने वाली बात ये है कि , जब भारत टेस्ट ही सबसे कम कर रहा है तो देश में कोरोना संक्रमित लोगो की सटीक जानकारी का आधार क्या है ।
लेकिन फिलहाल वायरस से निपटने के लिए महज़ तालाबंदी ही एक हल है रह गया है । उसके लिए सिस्टम में सुधार की जरूरत है। ठोस और कारगर रणनीति और टेस्ट में तेज़ी की जरूरत है। हमे तालाबंदी के साथ साथ बदहाल होती अर्थव्यवस्था पर अभी से रणनीति भी मजबूत करनी होगी

क्या सरकार के पास कोरोना का ईलाज महज एक तालाबंदी पर सिमट गया है ।
सरकार को इस बात का जवाब देना होगा कि आने वाले कल में देश में जो बेरोजगारी आने वाली है उस पर सरकार की क्या नीति है ।
जरूरत है आज देश मे वायरस के खिलाफ टेस्ट की संख्या बढ़ाने की ,लेकिन अब तक स्वस्थ मंत्रालय देश मे सबसे कम टेस्ट होने की वजहों का सही उत्तर भी नही दे रहे है ।
सवाल ये भी बनता है कि क्या हम इस डेटा के जरिये 33 लाख टेस्ट करने वाले अमेरिका के सामने खुद को किस श्रेणी में खड़ा कर सकते है। हम किसी भी हालत में ऐसा नही कर सकते क्योंकि हमारी टेस्टिंग भी बहोत कम हो रही है ।
हालांकि भारत ने अप्रेल तक अपनी टेस्टिंग क्षमता में कुछ विस्तार जरूर किया । लेकिन उसमे भी कई सवाल अबतक खड़े है। कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट में लगने वाला समय क्या है ! रिपोर्ट 6 से 8 घंटे में आ रही हैं या फिर रिपोर्ट आने में 24 से 48 घंटे का वक़्त लग रहा है।
हालांकि सरकार के पास इस सवाल का कोई जवाब नही है। पीएम ने “मन की बात’ में कई तरह के तरीके बताए कोरोना से बचाव के लिए ,टेस्टिंग लैब की संख्या जरूर बताई , लेकिन पीएम मन की बात में सैम्पल टेस्ट की बात पर ख़ामोश रहे।

15 अप्रेल तक देश में 2,74,599 सैम्पल टेस्ट हुए
8 अप्रेल तक 1,27,919 सैम्पल टेस्ट हुए
एक हफ्ते में महज़ 1,46,680 सैम्पल टेस्ट

देश दूनिया के सामने कोरोना के खिलाफ महज़ दो ही हथियार है (तालाबंदी और टेस्ट ) बाकी कोई दूसरा हथियार फिलहाल अब तक दिखाई नही दे रहा है ।

हम आपको बताते है कि कैसे ताईवान ने खुद को इस वायरस से सेफ़ किया। 31 दिसंबर को वुहान में संक्रमण की खबर के बाद ताइवान ने बिना देरी किये चीन से आने वाली उड़ानो रोक दि गई है । तब तक कोरोना का नाम कोविड 19 नही था। ताइवान चीन से आने वाले हर एक नागरिक की स्क्रीनिंग के साथ साथ उन्हें क्वारन्टाइन के सुपुर्द करता गया।
ऐसा इसलिए कि ताईवान ने 2003 सार्स की सीख से नेशनल हेल्थ कमांड सेंटर बनाया हुआ था। कोरोना के उदय के बाद 30 जनवरी को ही इसे सक्रिय कर दिया था । साथ ही चीन ने अपने सेंट्रल एपेडेमिक कमांड सेंट्रल को भी एक्टिव कर दिया था। इसके बाद ताइवान अपने मंत्रिमंडल के साथ मिलकर एक नई रणनीति में न सिर्फ जुट गया । बल्कि बिना देरी किये लागू भी करता गया। देश राज्य और जिलों की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया और नियमित तौर पर प्रेस ब्रेफिंग में ताईवान ने जोरी पकड़ ली।
10 फरवरी को ताइवान में 16 मामलों के साथ तथा चीन में 31 हजार के संक्रमित आंकड़ों की प्रष्ठभूमि विश्व पटल पर दिखने लगी तो ताइवान ने बिना समय गवाये चीन से जुड़ी सभी उड़ाने पूरी तरह से रद्द कर दी।
चीन ,हांगकांग और मकाऊ से आने वाले सभी यात्रियो को सख्त स्क्रीनिंग के साथ क्वार्ण्टाइन में भेजा जाने लगा।

बीमा कपनियो से विदेशो से आने जाने वालों का न सिर्फ डेटा बल्कि वीज़ा विभाग से जानकारी एकत्र की
वजह ताईवान में जो भी मरीज जाए उसकी यात्रा का इतिहास सभी के पास मौजूद रहे। ऐसे सभी लोगो के शरीर का तापमान लेकर उन्हें क्वार्ण्टाइन में भेजा जाता रहा।फिलहाल आमतौर पर सरकारे ऐसी सूचनाओं का इस्तेमाल नागरिकों पर नियंत्रण करने के लिए करती रही है।
ताइवान के लिए ये कहना गलत नही होगा कि उसने सर्वप्रथम इस मामले में अपनी जनता का विश्वाश हासिल किया।लोगो को फोन पर रेड ज़ोन इलाके का अलर्ट जाने लगा , मास्क पहुँचाया जाने लगा। खास चीज़ ये कि सरकार ने सभी निर्यात बंद कर अपने स्तर पर उत्पादन शुरू कर दिया। देखते ही देखते
जनवरी तक ताईवान के पास साढ़े 4 करोड़ सर्जिकल मास्क बनाकर तैयार थे।
ताईवान ने 2 करोड़ एन 95 मास्क और एक हजार निगेटिव प्रेशर आइसोलेशन रूम बना कर खड़े कर दिए। आइसोलोशन एक खास तरह का कमरा होता है , जो हवा का दबाव इतना कम रखता है , कि संक्रमित हवा बाहर निकल जाती है।
ताईवान की रणनीति काम आई और उसने एक दिन में एक करोड़ मास्क बनाने का ऐलान हो चुका है ।
ताईवान की महामारी के खिलाफ जीत कि चार वजह रही -लोकतंत्र पारदर्शिता विश्वाश और तकनीक जिसके चलते ताईवान ने कोरोना पर काबू हो चुका है
यहां एक बात आपको बताने और गौर करने वाली है कि ताईवान में पढ़े लिखे लोगो को ही चुनने की परंपरा है।वहां के राष्ट्रपति लंदन कालेज से पीएचडी है। उपराष्ट्रपति महामारी के अच्छे विशेषज्ञयों में गिने जाते है।किसी देश की कामयाबी और जीत के पीछे चुने हुए अच्छे लोगो का चयन बड़ा महत्व होता है ।
ऐसे समय में जब भारत ये दावा करे कि देश में कोरोना के बढ़ने की रफ्तार कम है ,तो दावों पर ध्यान से गौर करना चाहिए। तब गौर करने वाली बात और अहम हो जाती है जब ये दावा किया जाए कि हमने समय पर सही तैयारी और रणनीति को अंजाम दिया! इस संकट में भारत अपनी बेहतर क्षमता का केसा इस्तेमाल कर रहा है। ये हम सबके सामने है बेशक सरकारे गरीबो को खाना पहुँचा रही है।सभी के बराबर समय पर टेस्ट हों रहे है ,सैम्पल टेस्ट में सरकार के अनुसार हम किसी से पीछे नही है ,घर घर लोगो को सहूलियतें प्रदान की जा रही है ,शायद यही वजह है कि ‘ मन कि बात ‘ को जनता मन से न सिर्फ सुनती है बल्कि पूरी निष्ठा के साथ उसपर अमल करती आ रही है। लेकिन मज़दूरों का पलायन , किसानों की फसल , घरों में भूखे मर रहे लोगो , अस्पतालो में मास्क मेडिकल उपकरण ,वेंटिलाइज़र ,डॉक्टरों इलाज के वक़्त संक्रमित होने के बाद हो रही मौते ।इन सब पर खास रणनीति की जरूरत है जिसपर ध्यान देना मुनासिब नही समझा गया अब तक । देखा जाए तो सरकार से कही चार हाथ आगे हर छोटी बड़ी संस्थाएं ,मंदिर मस्जिद ट्रस्ट आम लोग खुद के अपने पेसो से आज लोगो की help कर रहे है ।तालाबंदी एक भगवान भरोसे वाला जरिया है । मात्र है।लेकिन चोर का इंतेज़ाम करना उसे खत्म करना होगा उसके लिए हमे ठोस रणनीति की जरुरत है ।

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रिपोर्ट – शिवी अग्रवाल

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