राहत सामग्री की जद्दोजहद में फलस्तीनी; इस्राइली सेना की गोलीबारी में 36 की मौत

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डेर अल-बलाह. इस्राइल-हमास (Israel–Hamas) युद्ध (war) का दंश झेल रहे फलस्तीनी (Palestinians) भूख (hunger) से तड़प रहे थे। संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों के दबाव के बाद जब इस्राइल ने सहायता सामग्री भेजना शुरू किया तो फलस्तीनी का सब्र टूट रहा है। आलम यह है कि गाजा में वितरण केंद्रों पर राहत सामग्री पाने के लिए भीड़ उमड़ रही है। फलस्तीनियों को काबू में करने के लिए इस्राइली सेना लगातार गोलीबारी कर रही है। मंगलवार को गाजा में सहायता प्राप्त करने का प्रयास कर रहे फलस्तीनियों पर एक बार फिर गोलीबारी की गई। इसमें 36 लोग मारे गए और 207 घायल हो गए।

नासेर अस्पताल ने बताया कि दक्षिणी गाजा में राफा के आसपास सहायता प्राप्त करने का प्रयास करते समय कम से कम आठ लोग मारे गए। वहीं उत्तरी गाजा में दो पुरुष और एक बच्चे की मौत हो गई और कम से कम 130 लोग घायल हो गए। चश्मदीदों के मुताबिक इस्राइली सेना ने मध्य गाजा में सहायता स्थल से कुछ दूरी पर सुबह करीब दो बजे गोलीबारी की। भोजन की आस में भीड़ से बचने के लिए ये फलस्तीनी कई घंटे पहले सहायता केंद्र पर पहुंचे थे।

इस्राइली सेना ने कहा कि उसने संदिग्धों पर चेतावनी के तौर पर गोलियां चलाईं। उसने कहा कि वे सहायता स्थल के खुलने के समय से पहले ही उसके सैनिकों की ओर बढ़ गए थे। इजरायली और अमेरिकी समर्थित गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन द्वारा संचालित सहायता स्थलों के पास हुई गोलीबारी में अब तक कम से कम 163 लोग मारे गए और 1,495 घायल हो गए।

बुरेज शरणार्थी शिविर के निवासी मोहम्मद अबू हुसैन ने बताया कि इस्राइली ड्रोन और टैंकों ने गोलीबारी की। उन्होंने देखा कि गोली लगने से पांच लोग घायल हो गए। वहीं गाजा शहर में इजरायली हमले में तीन फलिस्तीनी चिकित्सक मारे गए। स्वास्थ्य मंत्रालय की आपातकालीन सेवा के चिकित्सक गाजा शहर के जाफा स्ट्रीट में एक घर पर हुए इस्राइली हमले का जवाब दे रहे थे, तभी दूसरा हमला इमारत पर हुआ।

अकाल के कगार पर गाजा
इस्राइल की नाकाबंदी और सैन्य कार्रवाई ने गाजा को अकाल के कगार पर पहुंचा दिया है। इस्राइल और अमेरिका का कहना है कि उन्होंने नई खाद्य वितरण प्रणाली की शुरुआत हमास को मानवीय सहायता चुराने और उसका उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में करने से रोकने के लिए की है। जबकि संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि किसी भी व्यवस्थित तरीके से सहायता पहुंचाने का कोई सबूत नहीं है।

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