6 दिन बाद फांसी! केरल की नर्स निमिषा प्रिया की कहानी, जिसने यमन में मर्डर कर दी थी जान

बेहोशी की दवा, ब्लड मनी और मौत की सजा… जानिए कैसे बिजनेस पार्टनर की हत्या के बाद यमन की जेल में फंसी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया

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केरल से यमन तक का सफ़र

2008 में केरल (पलक्कड़) के कोल्लेनगोडे की रहने वाली निमिषा यमन गईं, जहां उन्होंने वहां के स्थानीय अस्पतालों में नर्स के तौर पर काम किया, 2015 में उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के साथ साझेदारी में सना में एक मेडिकल क्लिनिक खोला, क्योंकि वहां बिजनेस के लिए स्थानीय साथी की ज़रूरत थी, शुरूआत की साझेदारी में सब ठीक था, लेकिन तलाल ने अचानक ही क्लीनिक के दस्तावेज़ों में हेराफेरी शुरू कर दी. वो पैसे निकालने लगा. इतना ही नहीं, उसने निमिषा से गहने भी छीन लिए और पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया, धमकियाँ दीं और उसका शारीरिक उत्पीड़न किया गया। निमिषा ने पुलिस की मदद ढूंढी, लेकिन यमन की स्थानीय पुलिस ने उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया.

 

हत्या का आरोप और गिरफ़्तारी

जेल से रिहा होने के बाद निमिषा ने तथाकथित कारावासात उत्पीड़न सहन न कर पाने पर तलाल को “बेहोशी की दवा” दी, ताकि पासपोर्ट वापस पा सकें। लेकिन “ओवरडोज़” हो जाने की बजह से तलाल की मौत हो गई. 2017 में जब निमिषा ने भागने की कोशिश की, तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया. 2018 में ट्रायल कोर्ट द्वारा निमिषा को हत्या का दोषी करार देकर मौत की सजा सुनाई गई. 2020 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने इस सजा को बरकरार रखा, 2023 तक अंतिम अपील खारिज कर दी गई, लेकिन ‘दिया’ या ‘ब्लड मनी’ यानि (मुआवजे का भुगतान करके क्षमा) का विकल्प अब भी खुला छोड़ा गया था. लेकिन इतनी जद्दोजहद के बाबजूद 16 जुलाई 2025, निमिषा की फांसी की तारीख तय की गई है, जिसमें अब महज़ 6 दिन बाकी रह गए हैं. इस सजा की मंजूरी हूती विद्रोहियों के सुप्रीम कोर्ट ने दी थी.

 

“ब्लड मनी” के ज़रिए छूट की कोशिश

निमिषा की माँ प्रेमा कुमारी 2024 से यमन में हैं और पीड़ित परिवार से माफी मांगने की कोशिश करती रहीं हैं, ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ ने लगभग US $1 million का मुआवजा देने की पेशकश की थी, लेकिन इसमें भी कोई सहमति नहीं मिल सकी, यदि पीड़ित परिवार माफ़ करें, तो यमन की इस्लामी व्यवस्था के चलते फांसी टालने का रास्ता है.

 

भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

10 जुलाई 2025 को भारत में एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसे कोली गवाह के तौर पर मंज़ूरी मिली थी, जिसमें 14 जुलाई 2025 को अदालत सुनवाई करेगी वोभि फांसी से महज़ दो दिन पहले ही, याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है जिससे वह राजनयिक माध्यमों से हूती नियंत्रित क्षेत्रों में संपर्क बढ़ाए. इसके साथ ही मानवाधिकार समूह, राज्यसभा सांसद (जॉन ब्रिटास), केरल के कांग्रेस विधायक, और नागरिक संगठनों ने मिलकर सरकार और विदेश मंत्रालय से हस्तक्षेप की अपील की है.

 

यमन में फांसी की प्रक्रिया

यमन में फ़ांसी बेहद क्रूर ढंग से होती है—जरूरत से ज़्यादा गोली चलाई जाती है जिससे हड्डियाँ टूट जाती हैं इसके चलते मानवाधिकारवादी इस प्रक्रिया की भी कड़ी आलोचना कर रहे हैं।

 

फिलहाल का हाल-चाल

निमिषा सना की केंद्रीय जेल में बंद हैं, जो हूती नियंत्रण में है, भारत सरकार का कहना है कि वह “हर संभव सहायता” प्रदान कर रही है. अब उम्मीद सिर्फ 14 जुलाई की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई और ब्लड मनी के ज़रिए आखिरी समझौते पर है। वक्त कम है। यदि यमन के पीड़ित परिवार से समझौता हो गया तो सजा टल सकती है। वरना, 16 जुलाई को निमिषा को फांसी दी जा सकती है और भारत सरकार की सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर 14 जुलाई को फैसला होना तय है।

 

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