अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक ऐतिहासिक पल आने वाला है। 70 साल के हनुमानगढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत प्रेम दास पहली बार मंदिर परिसर से बाहर निकलेंगे और रामलला के दर्शन करेंगे। यह अवसर अक्षय तृतीया के पावन दिन, 30 अप्रैल को मिलेगा। सदियों से चली आ रही परंपरा को बदलते हुए यह फैसला लिया गया है, जो भक्तों और संत समाज दोनों के लिए बेहद खास बन गया है।
जीवनभर मंदिर परिसर में रहने की परंपरा
हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी, जिन्हें ‘गद्दी नशीं’ कहा जाता है, के लिए एक सख्त परंपरा थी कि वे जीवनभर मंदिर परिसर से बाहर नहीं जाएंगे। यह परंपरा 18वीं सदी से चली आ रही थी, जब इस मंदिर की स्थापना हुई थी। अयोध्या निवासी प्रज्ज्वल सिंह ने बताया कि परंपरा इतनी कठोर थी कि अगर किसी कानूनी मसले पर भी बुलावा आता तो भी गद्दी नशीं अदालत में पेश नहीं होते थे। हनुमानगढ़ी का परिसर लगभग 52 बीघा क्षेत्र में फैला है और महंत प्रेम दास ने अपने पूरे जीवन में कभी भी इसके बाहर कदम नहीं रखा। लेकिन समय के साथ भावनाओं का सम्मान करते हुए परंपरा में बदलाव किया गया है।
रामलला के दर्शन की इच्छा से बदली परंपरा
महंत प्रेम दास ने राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के दर्शन करने की इच्छा जताई थी। अपनी इस भावना को उन्होंने निर्वाणी अखाड़े के पंचों यानी वरिष्ठ सदस्यों के समक्ष रखा। पंचों ने महंत प्रेम दास की इच्छा का सम्मान करते हुए सर्वसम्मति से उन्हें मंदिर से बाहर निकलने और दर्शन करने की अनुमति दे दी। यह निर्णय अयोध्या के धार्मिक इतिहास में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
अक्षय तृतीया पर निकलेगा भव्य जुलूस

30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन महंत प्रेम दास एक भव्य जुलूस का नेतृत्व करेंगे। निर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत रामकुमार दास ने बताया कि इस जुलूस में अखाड़े का ‘निशान’ (धार्मिक प्रतीक चिह्न) भी साथ ले जाया जाएगा। जुलूस में हाथी, ऊंट और घोड़े शामिल होंगे जो इसकी भव्यता में चार चांद लगाएंगे। महंत प्रेम दास के साथ नागा साधु, उनके शिष्य, स्थानीय व्यापारी और श्रद्धालु भी चलेंगे। सुबह सात बजे जुलूस सरयू नदी के तट पर पहुंचेगा जहां महंत प्रेम दास अनुष्ठान स्नान करेंगे। इसके बाद जुलूस राम जन्मभूमि मंदिर की ओर बढ़ेगा, जहां महंत रामलला के दर्शन कर सकेंगे।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली भेंट
गौरतलब है कि अयोध्या के भव्य राम जन्मभूमि मंदिर में पिछले साल 22 जनवरी को रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा विधिपूर्वक संपन्न हुई थी। इसके बाद से करोड़ों भक्तों का सपना साकार हुआ है। अब महंत प्रेम दास का रामलला के दर्शन करना एक और ऐतिहासिक क्षण बन जाएगा।
एक ऐतिहासिक और भावनात्मक पल
हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी का इतने वर्षों बाद मंदिर परिसर से बाहर आकर रामलला के दर्शन करना न सिर्फ धार्मिक बल्कि भावनात्मक दृष्टि से भी बहुत बड़ा क्षण होगा। यह घटना परंपरा और आस्था के बीच एक सुंदर संतुलन का उदाहरण पेश कर रही है। भक्तों में इस जुलूस को लेकर भारी उत्साह है और अयोध्या में तैयारियों का माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो चुका है।