नई दिल्ली: आज, 5 मई 2025 (सोमवार) को सीता नवमी का पावन पर्व पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन मां सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है। माता सीता को आदर्श नारीत्व, पतिव्रता धर्म और त्याग की प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां सीता और भगवान श्रीराम की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
सीता नवमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल नवमी तिथि की शुरुआत 5 मई, सोमवार को सुबह 7:35 बजे से हो रही है और इसका समापन 6 मई, मंगलवार को सुबह 8:38 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार, सीता नवमी का पर्व 5 मई को ही मनाया जाएगा।
पूजन का मध्याह्न मुहूर्त: सुबह 10:58 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक
मध्याह्न का विशेष क्षण: दोपहर 12:18 बजे
पूजा की कुल अवधि: 2 घंटे 40 मिनट

सीता नवमी पर कैसे करें पूजा? जानिए पूजन विधि
इस दिन व्रती (व्रत करने वाले) ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद विधिवत पूजा की जाती है:
- भगवान राम और माता सीता की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं।
- साफ स्थान पर चौकी बिछाकर देवी-देवताओं की स्थापना करें।
- पुष्प, धूप, दीप, फल, नैवेद्य आदि से पूजा करें।
- माता सीता के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- पूरे परिवार के साथ मिलकर श्रीराम-सीता की आरती करें।
- पूजा के अंत में रामायण का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- दिन भर सात्विक आहार लें और तामसिक चीजों से परहेज करें।
सीता नवमी का धार्मिक महत्व
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सीता नवमी का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि इस दिन माता सीता की पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही, संतान सुख और पारिवारिक कल्याण के लिए भी यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर और पूरे श्रद्धा भाव से पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं।