पोलियो की दवा का पाकिस्तान में विरोध, मौलवी बोले- इससे लोग हो रहे नपुंसक

0 174

लाहोर। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत (Balochistan Province) में पोलियो दवा पिलाने गई टीम को सुरक्षा देने वाले एक पुलिसकर्मी की मंगलवार को हत्या कर दी गई। इसके अलावा एक पुलिसकर्मी बुरी तरह से घायल हुआ है। यह घटना बलूचिस्तान के नुश्की (Nushkis of Balochistan) में हुई है। इसके बाद जिले में पोलियो अभियान को फिलहाल सस्पेंड कर दिया गया है। पोलियो ऐसी बीमारी है, जो किसी के हाथ या पैर पर सीधा असर डालता है और उस पर पैरालिसिस जैसा अटैक हो जाता है। एक बार पोलियो का शिकार होने के बाद उसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन उससे बचाव के लिए दो बूंद की वैक्सीन बच्चों को 5 साल की उम्र तक दी जाती है। यह अचूक दवा है, जिससे दुनिया भर के देशों ने खुद को पोलियोमुक्त कर लिया है।

फिर भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में इसका विरोध होता है। पाकिस्तान में 5 साल से कम आयु के करीब 4.5 करोड़ बच्चे हैं। उन्हें पोलियो से मुक्त करने के लिए अभियान चलता है, जिसके कट्टरपंथी खिलाफ हैं। इसी का नतीजा पोलियो टीम पर हमलों के तौर पर दिखता है।

षड्यंत्र की आशंका
पाकिस्तान में बहुत से लोग मानते हैं कि पोलियो वैक्सीन एक पश्चिमी साजिश है, जिसका उद्देश्य मुसलमानों को बांझ बनाना है या उनकी आबादी को नियंत्रित करना है। यह गलत धारणा काफी समय से फैली हुई है, खासकर ग्रामीण और दूर-दराज़ के इलाकों में। अफगानिस्तान में भी इसका विरोध होता रहा है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में तो कई इलाकों में हेल्थ डिपार्टमेंट की टीमें पोलियो पिलाने के लिए जाती ही नहीं हैं।

डॉक्टर शकील आफरीदी और ओसामा बिन लादेन का केस
दरअसल 2011 में CIA ने ओसामा बिन लादेन का पता लगाने के लिए एक नकली टीकाकरण अभियान चलाया था। इस घटना के बाद बहुत से लोगों का टीकाकरण कार्यक्रमों से विश्वास उठ गया। उन्हें शक होने लगा कि वैक्सीन अभियान जासूसी के लिए इस्तेमाल हो सकता है।

तालिबान और चरमपंथी समूहों का विरोध
तालिबान और अन्य उग्रवादी समूह पोलियो टीकाकरण को पश्चिमी दखल मानते हैं और इसका विरोध करते हैं। उन्होंने पोलियो कार्यकर्ताओं पर हमले किए हैं, जिससे लोगों में डर फैलता है और अभियान बाधित होते हैं। खैबर पख्तूनख्वा में तालिबान का असर बहुत अधिक है। इसके अलावा इस्लामिक मान्यताओं के इसे विपरीत माना जाता है। इसी कारण से देश के अन्य हिस्सों में भी अकसर पोलियो टीमों पर हमले होते रहते हैं। कई इलाकों में लोगों को यह नहीं मालूम कि पोलियो क्या है और टीकाकरण क्यों ज़रूरी है। इस अज्ञानता के कारण वे अफवाहों पर जल्दी विश्वास कर लेते हैं।

अकसर पोलियो के खिलाफ फतवे देते रहे हैं मौलवी
कुछ मौलवियों और धार्मिक नेताओं ने अतीत में पोलियो वैक्सीन के खिलाफ फतवे दिए हैं, जिसमें इसे “हराम” या इस्लाम विरोधी बताया गया है। कुछ समुदायों को सरकार पर भरोसा नहीं है, वे मानते हैं कि जब बाकी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलतीं, तो केवल पोलियो वैक्सीन पर इतना ज़ोर क्यों? पाकिस्तान सरकार, WHO और यूनिसेफ जैसे संगठन जागरूकता फैलाने, स्थानीय धर्मगुरुओं को साथ जोड़ने और सुरक्षा के साथ टीकाकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। मीडिया अभियान, स्कूल कार्यक्रम, और स्थानीय समुदाय के साथ सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.