नई दिल्ली: हाल ही में ईरान पर हुए सटीक हमलों ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। खास बात यह है कि इजरायल ने बहुत दूर होने के बावजूद ईरान के अंदर बैठे खास लोगों पर ऐसे हमले किए, जिनसे सिर्फ वह लोग ही मरे और आसपास की बिल्डिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसके पीछे की वजह है मोबाइल फोन ट्रैकिंग तकनीक।
क्या है मोबाइल फोन ट्रैकिंग तकनीक?
ईरान की फार्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इजरायल ने इस तकनीक का इस्तेमाल करके ईरान के अंदर छुपे हुए टारगेट्स की सही लोकेशन पकड़ी। इस तकनीक में मोबाइल फोन के GPS, सेल टॉवर सिग्नल, वाईफाई और ब्लूटूथ के डेटा से किसी व्यक्ति की असली जगह पता लगाई जाती है।
ट्रैकिंग के दो मुख्य तरीके हैं:
सिग्नल इंटरसेप्शन: दुश्मन के मोबाइल से निकलने वाले रेडियो सिग्नल को पकड़कर उसकी लोकेशन ट्रैक करना।
आईएमएसआई कैचर: नकली मोबाइल टॉवर बनाकर मोबाइल को उसमें लॉग-इन कराना और फिर उसकी हर गतिविधि पर नजर रखना।

इजरायल ने इसका कैसे इस्तेमाल किया?
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इस तकनीक से ईरान में परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों की लोकेशन ट्रैक की। उनके मोबाइल फोन के जरिये उनका मूवमेंट जाना गया और फिर ड्रोन या स्नाइपर यूनिट से उन्हें निशाना बनाया गया।
आखिर क्यों है यह तकनीक महत्वपूर्ण?
यह तकनीक दुश्मन के ठिकानों को बिना ज्यादा नुकसान पहुंचाए सटीक निशाना लगाने में मदद करती है। इस वजह से इसे आधुनिक युद्ध में बहुत उपयोगी माना जाता है।