नई दिल्ली: ब्रिक्स (BRICS) यानी, (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का समूह इसके नाम का अर्थ तो हम सभी जानते ही हैं लेकिन ये summit केवल एक समूह नहीं बल्कि विश्व के उभरते हुए देशों की आवाज़ है। जानकारी के लिए बता दें, ब्रिक्स की शुरुआत 2001 में केवल BRIC (दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर) के रूप में हुई थी। चलिए जानते हैं BRICS summit सबसे पहले कब और कहां शुरू हुआ था, इसका उद्देश्य क्या है, और भारत इस समूह में कैसे शामिल हुआ व इसका रोल क्या है?
BRICS SUMMIT सबसे पहले 16 जून (2009) में रूस (एकातेरिनबर्ग) में हुई थी जिसमे BRIC देशों के चारों सरकारों के प्रमुखों ने इसमें भाग लिया। BRICS SUMMIT का MOTTO समय समय पर अपने बदलते लक्ष्य को हासिल कर उसे प्राथमिकता देना है।

वैसे इसका प्रमुख उद्देश्य वैश्विक शासन प्रणाली में बदलाव लाना और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हितों को बढ़ावा देना रहा है। इसके अलावा उज्जवल भविष्य के लिए स्ट्रांग पार्टनरशिप, इनोवेटिव ग्रोथ, फुल सिक्योरिटी, ग्लोबली स्टैब्लिशमेंट के लिए BRICS साझेदारी, मिलकर एक बेहतर विश्व बनाना आखिर में समावेशी और सतत शासन के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग को सशक्त बनाना। सालों से इसका उद्देश्य इस विकसित होते एजेंडे को दर्शाता रहा हैं।

आपको बता दें BRICS 2025 का शिखर सम्मेलन इस बार एक खास मौके पर हो रहा है, क्योंकि विश्व में भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। भारत इस सम्मेलन में विकासशील देशों की ओर से एक मजबूत आवाज बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतत विकास, डिजिटल समावेशन और वैश्विक दक्षिण (Global South) की भागीदारी को प्राथमिकता दी है। भारत ने इस बार डिजिटल अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद विरोध और बहुपक्षीय व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा को आगे बढ़ाया।


हाँ लेकिन इन सबसे परे एक बात और थी जिसने सभी का ध्यान खींचा दरअसल, इस बार की SUMMIT में चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की अनुपस्थिति ने सम्मेलन की राजनीति को और रोचक बना दिया। भारत की नेतृत्वकारी भूमिका ने यह साफ कर दिया कि वह अब सिर्फ भागीदार नहीं, बल्कि नीति-निर्माता की भूमिका निभा रहा है।
BRICS 2025 भारत के लिए केवल एक सम्मेलन नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व दिखाने का अवसर है।
मुस्कान
कंटेंट राइटर
VNation News