बलरामपुरः छांगुर बाबा को घोड़े और कुत्ते पालने का भी बहुत शौक था। छांगुर ने कई जर्मन शेफर्ड और पिटबुल पाले थे। साथ मे चार घोड़े भी रखे थे जिनमे एक सफेद घोड़ा भी था। बताया जा रहा है कि कोठी में छह जर्मन शेफर्ड मिले हैं। छांगुर अपनी जिंदगी राजाओं की तरह से जीता था। बलरामपुर के उतरौला में सरकारी जमीन पर कब्ज़ा करके बनाया गया छांगुर बाबा का आलीशान बंगला बुधवार को भी ज़मींदोज़ नही हो पाया। सुबह करीब दस बजे छांगुर बाबा का अवैध निर्माण गिराने आठ बुलडोज़र पहुंचे और शाम पांच बजे तक बुलडोज़र एक्शन जारी रहा। कल भी आठ बुलडोज़र सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक लगातार चलते रहे। दो दिन बाद भी आठ-आठ बुलडोज़र छांगुर बाबा का अवैध निर्माण नहीं गिरा पाए। इस दौरान कल बुलडोज़र के पुशर ब्लेड टूटे भी। अब गुरुवार सुबह फिर बुलडोज़र एक्शन शुरू होगा।
कोठी बनाने में सरिया का हुआ अधिक इस्तेमाल
अवैध निर्माण तोड़ रहे लोगों का कहना है कि कोठी को बनाने में काफी पैसा खर्च किया गया है और सरिया का बहुत इस्तेमाल हुआ है ,जिसकी वजह से दो दिन में भी ये कोठी धाराशाही नही हो पाई। छांगुर की कोठी का 75 फीसदी हिस्सा टूट चुका है।
कोठी बवाने में खर्च किए बारह करोड़ रुपये

दरअसल छांगुर बाबा ने यहां पहले एक आलीशान कोठी बनवाई और फिर दूसरी कोठी। दोनों कोठी बनाने में करीब बारह करोड़ रुपये खर्च किये गए। दूसरी कोठी में ही बुलडोज़र एक्शन चल रहा है। यहीं पर छांगुर बाबा भव्य तरीके से रहता था। जिस घर मे छांगुर बाबा रहता था वो तीन मंजिला बना है। नीचे के फ्लोर पर चार यूनिट्स बनी है। हर यूनिट में दो बेडरूम, अटैच बाथरूम के साथ किचेन सब है।
घर की छतों पर कई सोलर पैनल लगे हैं
पहली मंजिल पर चार बड़े- बड़े बेडरूम हैं। हर बेडरूम के साथ ड्रेसिंग रूम और बाथरूम है। इस फ्लोर पर बड़ा मॉड्यूलर किचेन भी है। इस फ्लोर पर बहुत बड़ी लॉबी भी है। दोनों ही घर की छतों पर कई सोलर पैनल लगे हैं। इन दोनों कोठियों की बाउंड्री पर कटीले तार लगे हैं।