45 दिन की डेडलाइन! समझौते पर नहीं लौटे तो होगा 2015 वाला हाल, ईरान को मिली धमकी

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वाशिंगटन: ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम के बाद से अमेरिका, ईरान पर परमाणु समझौता (न्यूक्लियर डील) करने के लिए दबाव डाल रहा है। हालांकि ईरान ने इस समझौते में दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन वह कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता। अब अमेरिका और तीन यूरोपीय देशों ने ईरान को 45 दिनों का अंतिम समय दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, ईरान को अगस्त तक परमाणु समझौते पर सहमति बनाने का मौका दिया गया है।

रिपोर्ट्स की मानें तो अगर इस समयसीमा तक कोई समझौता नहीं होता है, तो ये यूरोपीय देश ‘स्नैपबैक’ प्रावधान लागू करने की योजना बना रहे हैं। इसके तहत 2015 के परमाणु समझौते के दौरान हटाए गए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी प्रतिबंध ईरान पर फिर से लागू हो जाएंगे। इससे ईरान की अर्थव्यवस्था, जो पहले से ही संकट का सामना कर रही है, और भी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।

अमेरिका नहीं चाहता कोई भी जल्दबाजी
पिट्सबर्ग की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद वाशिंगटन पहुंचे ट्रंप ने मीडिया को बताया कि ईरान अमेरिका के साथ वार्ता करने की इच्छा रखता है, लेकिन उन्हें इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं है। उन्होंने अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर किए गए हमलों का उल्लेख करते हुए कहा, “वे (ईरान) बातचीत करना चाहते हैं, लेकिन मुझे इसकी कोई तात्कालिक आवश्यकता महसूस नहीं हो रही, क्योंकि हमने पहले ही उनके महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट कर दिया है।”

एकतरफा रूप से रद्द किया समझौता
ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के कारण 2015 तक कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा था। उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान के साथ एक ऐतिहासिक परमाणु समझौता (न्यूक्लियर डील) किया, जिसके बाद देश पर लगे कई प्रतिबंध हटा लिए गए थे। हालांकि, बाद में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते को एकतरफा रूप से रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि यह डील ईरान के पक्ष में है और अमेरिका के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं करती।

परमाणु स्थलों और कुछ शहरों पर हमला
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान, अमेरिका और ईरान के बीच एक बार फिर परमाणु समझौते पर वार्ता शुरू हुई। कई दौर की बातचीत के बाद, 13 जून को इजरायल ने ईरान के परमाणु स्थलों और कुछ शहरों पर हमला कर दिया। इसके बाद ईरान ने वार्ता प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया और अब वह वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए यह गारंटी मांग रहा है कि भविष्य में उस पर कोई हमला नहीं किया जाएगा।

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