जश्न-ए-आजादी में छाया मातम! पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस पर फायरिंग, 3 की मौत, 60 से ज्यादा घायल

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Pakistan Independence Day Firing: पाकिस्तान आज यानी 14 अगस्त को अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, लेकिन कराची में जश्न का माहौल मातम में बदल गया। जश्न के दौरान की गई हवाई फायरिंग में 8 साल की एक बच्ची समेत तीन लोगों की मौत हो गई और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अजीजाबाद में गली में खेल रही एक बच्ची को गोली लगने से उसकी जान चली गई। वहीं, कोरंगी इलाके में स्टीफन नामक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है।

कई इलाकों में फायरिंग की घटनाएं
स्थानीय पुलिस के मुताबिक कराची के कई इलाकों में फायरिंग की घटनाएं सामने आईं। इसमें लियाकताबाद, कोरंगी, लियारी, महमूदाबाद, अख्तर कॉलोनी, केमारी, जैक्सन, बाल्डिया, ओरंगी टाउन और पापोश नगर जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा शरीफाबाद, नॉर्थ नाज़िमाबाद, सुरजानी टाउन, जमान टाउन और लांधी जैसे इलाके भी प्रभावित हुए। फायरिंग में घायल लोगों को सिविल, जिन्ना, अब्बासी शहीद समेत कई निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अलग-अलग इलाकों से 20 से ज्यादा संदिग्धों को पकड़ा, जिनके पास से अत्याधुनिक हथियार और गोलियां जब्त की गईं।

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर साल हवाई फायरिंग
पुलिस का कहना है कि उनकी कार्रवाई जारी है और हवाई फायरिंग में शामिल हर व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाएगी। पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर साल हवाई फायरिंग की घटनाएं होती रही हैं। 2024 में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई थी और 95 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। एआरवाई न्यूज के मुताबिक, जनवरी 2024 में कराची में अलग-अलग जगहों पर हुई फायरिंग की घटनाओं में कम से कम 42 लोगों की जान गई, जबकि 233 लोग घायल हुए।

कई लोगों की गई जान
शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में हुई फायरिंग की घटनाओं में कुछ लोगों ने डकैती की कोशिशों को नाकाम करते हुए अपनी जान गंवा दी। इन घटनाओं में कुल पांच लोगों की मौत हुई। इसके अलावा, जश्न के दौरान या हवाई फायरिंग जैसी अन्य वारदातों में भी कई लोगों की जान चली गई। जनवरी की शुरुआत में कराची में सड़क हादसों, डकैती के विरोध और हवाई फायरिंग से होने वाली मौतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में बच्चों और बुजुर्गों समेत 528 लोग घायल हुए, जबकि 36 की जान चली गई। वहीं, डकैती का विरोध करने पर हुई घटनाओं में 3 लोगों की मौत और 15 लोग घायल हुए।

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