जौनपुर के पचोखर गांव के महगू निषाद (65), मगरू हरिजन (62) और कृपा शंकर तिवारी डीएम कार्यालय पहुंचे तो वहां मौजूद लोग दंग रह गए। गले में “साहब, मैं जिंदा हूं” की तख्ती लगाए इन तीनों ने बताया कि उन्हें फाइलों में मृत दिखाकर उनकी पेंशन पिछले दो साल से रोक दी गई है। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान से पुरानी रंजिश के चलते यह साजिश रची गई है और जानबूझकर उन्हें मृतक घोषित कर दिया गया।
पीड़ितों ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई कि मामले की निष्पक्ष जांच कर उनकी पेंशन तुरंत बहाल की जाए। कृपा शंकर तिवारी ने बताया कि वह कैंसर के मरीज हैं और बेहद आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। ऐसे में पेंशन ही उनका एकमात्र सहारा है। घटना सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग में हड़कंप मच गया है और अधिकारी जांच की तैयारी में जुट गए हैं।

इस पूरे मामले पर समाज कल्याण अधिकारी नीरज पटेल ने कहा कि जांच के आदेश दे दिए गए हैं और संबंधित फाइल ब्लॉक स्तर पर भेजी जा रही है। उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड में मगरू हरिजन और महगू निषाद को मृतक दिखाया गया है, जबकि कृपा शंकर तिवारी का नाम सूची में दर्ज ही नहीं है। अधिकारी ने आश्वासन दिया कि विस्तृत जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और पीड़ितों की पेंशन दोबारा चालू कराई जाएगी।
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