बिहार विधानसभा चुनाव 2025: लालू यादव का NDA पर तंज, सीटों की जंग और नई सियासी चाल

लालू प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया पर कहा “6 या 11, NDA नौ दो ग्यारह”, आरजेडी और NDA के बीच कड़ा मुकाबला, छोटी पार्टियों की भूमिका अहम

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बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य में सियासी माहौल गर्मा गया है। सभी राजनीतिक दल अब सीट बंटवारे और रणनीति तय करने में जुट गए हैं। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एनडीए पर निशाना साधते हुए कहा कि आने वाले चुनावों में एनडीए को करारी हार झेलनी पड़ेगी। लालू यादव ने दावा किया कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है और एनडीए सरकार से पूरी तरह नाराज है। उन्होंने कहा कि इस बार जनता महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट देगी, और आरजेडी गठबंधन को भारी समर्थन मिलेगा।

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सियासी सरगर्मी चरम पर पहुंच गई है। इस बार राज्य में दो चरणों में मतदान होगा — पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को आयोजित किया जाएगा, जबकि वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी। तारीखों के ऐलान के तुरंत बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एनडीए पर व्यंग्य कसते हुए लिखा, “6 या 11, एनडीए नौ दो ग्यारह।” उनके इस मज़ाकिया ट्वीट ने चुनावी माहौल में हलचल मचा दी और राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा बटोरी।

लालू प्रसाद यादव का यह तंज एनडीए की संभावित हार पर सीधा प्रहार माना जा रहा है। उन्होंने चुनाव की तारीखों — 6 और 11 नवंबर — को जोड़ते हुए चुटकी ली कि इन दोनों तिथियों के बाद एनडीए “नौ दो ग्यारह” यानी बिहार से गायब हो जाएगा। दरअसल, बिहार में एनडीए गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और जीतनराम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा जैसी पार्टियां शामिल हैं। लालू यादव के इस व्यंग्यपूर्ण बयान ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है, जिससे एनडीए और महागठबंधन के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है।

गौरतलब है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। दोनों ही दलों का राज्य में मजबूत और स्थिर मतदाता आधार है, जिससे चुनाव हमेशा कड़ा और रोचक रहा है। इस बार चुनाव में नए खिलाड़ी जैसे प्रशांत किशोर की जन सुराज भी मैदान में हैं, जो सियासी समीकरण को बदल सकते हैं। साथ ही, छोटी पार्टियों की भूमिका भी अहम रहने की संभावना है, क्योंकि वे अगली सरकार के गठन में निर्णायक साबित हो सकती हैं।

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