वंदे मातरम के 150 साल पूरे: पीएम मोदी ने लॉन्च किया स्मारक सिक्का और वेबसाइट

राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ बना एकता और आज़ादी का प्रतीक

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भले ही आज भारत आज़ाद है, लेकिन “वंदे मातरम” की गूंज अब भी हर राष्ट्रीय अवसर पर देशभक्ति का जज़्बा जगाती है।जी हां भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ को आज पूरे 150 साल हो गए हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर पूरे देश में जश्न का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर पर देशवासियों को बधाई दी इस दौरान उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। इसके साथ ही वंदे मातरम् वेबसाइड को भी लॉन्च किया गया है।

PM मोदी का संबोधन
पीएम मोदी ने अपना संबोधन शुरू करते हुए कहा, वंदे मातरम, ये शब्द एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक स्वप्न है, एक संकल्प है। वंदे मातरम, ये शब्द मां भारती की साधना है, मां भारती की आराधना है। वंदे मातरम, ये शब्द हमें इतिहास में ले जाता है। ये हमारे वर्तमान को नए आत्मविश्वास से भर देता है और हमारे भविष्य को ये नया हौसला देता है कि ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसकी सिद्धि न हो सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे हम भारतवासी पा न सकें।

किसने लिखा था गीत?
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने साल 1875 में इस गीत को लिखा था. इसके बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इसे गाने के रूप में पेश किया. 1896 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार ये गीत गाया गया. ये एक ऐसा गीत था, जो उस दौर में आंदोलन का प्रतीक बन गया और हर जुबान पर चढ़ गया, इसकी धुन सुनते ही लोगों में देशभक्ति की लहर दौड़ पड़ती थी और यही वजह है कि अंग्रेजों ने इस पर बैन भी लगा दिया था. यही वजह है कि 24 जनवरी 1950 में इसे राष्ट्रीय गीत के तौर पर चुना गया था.

क्या है वंदे मातरम का मतलब?
वंदे मातरम का मतलब है- मैं मां को नमन करता हूं… या फिर भारत माता मैं तेरी स्तुति करता हूं. इसीलिए इसे भारत माता का गीत भी कहा जाता है. इसमें वंदे संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका मतलब नमन करना होता है, वहीं मातरम इंडो-यूरोपीय शब्द है, जिसका मतलब ‘मां’ होता है. मातृभूमि के प्रति सम्मान जताने के लिए इस गाने का इस्तेमाल होता है.

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