नई दिल्ली: भारत समेत दुनियाभर में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तेजी से पांव पसार रहा है। इस दुनिया के लिए AI जितना फायदेमंद है, इसके उतने की खतरनाक चेहरे भी देखने को मिल रहे हैं। अब भारतीय रेल भी AI के गलत इस्तेमाल का शिकार हो गया है। भारतीय रेल के मध्य रेलवे जोन में अभी हाल ही में 3 यात्री पकड़े गए हैं, जो AI से बनाई गई टिकट का इस्तेमाल कर ट्रेनों में यात्रा कर रहे थे। रेलने ने इन तीनों यात्रियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। हैरानी की बात ये है कि पकड़े गए तीन यात्रियों में एक महिला भी शामिल है और ये सभी अच्छे परिवारों से ताल्लुक रखते हैं।
यात्रियों की चेकिंग के दौरान पाई गई थी गड़बड़ी
मध्य रेलवे के टीटीई प्रशांत कामले ने बताया कि उन्होंने कुछ यात्रियों की चेकिंग के दौरान कुछ गड़बड़ी पाई थी। दरअसल, पकड़े गए सभी यात्रियों की टिकट पर एक ही UTS (Unreserved Ticketing System) नंबर था, जबकि ये कभी भी एक जैसे नहीं हो सकते हैं। बताते चलें कि जैसे रिजर्वेशन टिकट पर पीएनआर नंबर होता है, वैसे ही अनरिजर्व्ड टिकट पर यूटीएस नंबर होता है और ये हमेशा अलग-अलग होते हैं। AI से फर्जी टिकट बनाने वाले अपराधी यूटीएस नंबर में बदलाव करना भूल गए और पकड़े गए।

कैसे होती है असली और नकली टिकट की पहचान
प्रशांत कामले ने बताया कि यूटीएस ऐप से बुक किए गए टिकट ही मान्य होते हैं और जो लोग यूटीएस से टिकट बुक करते हैं, उनके टिकट भी यूटीएस ऐप में ही देखे जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति यूटीएस ऐप से बुक की गई टिकट की फोटो, स्क्रीनशॉट या किसी अन्य तरीके से टिकट दिखाता है तो वो टिकट पूरी तरह से अमान्य माना जाएगा। यूटीएस ऐप से बुक होने वाली टिकट कभी भी फर्जी या नकली नहीं हो सकती है, इसलिए यात्री को ऐप खोलकर टिकट दिखाने के लिए कहा जाता है। अगर कोई यात्री टिकट की फोटो, स्क्रीनशॉट या किसी अन्य तरीके से टिकट दिखाता है तो उसमें फर्जीवाड़े की काफी संभावनाएं हो सकती हैं।
5 से 7 साल तक की हो सकती है जेल
मध्य रेलवे के सीपीआरओ स्वप्निल नीला ने इंडिया टीवी के साथ बातचीत करते हुए बताया कि एआई या किसी भी अन्य टूल से फर्जी टिकट बनाकर यात्रा करना एक बेहद ही गंभीर जुर्म है। उन्होंने बताया कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को 5 से 7 साल तक की जेल हो सकती है और साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।