नई दिल्ली। पौष माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि शनिवार शाम 4 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार, शनिवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से शनिवार का व्रत रख सकते हैं। कई जातकों में शनिदेव को लेकर धारणा गलत है लेकिन ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि शनि देव व्यक्ति को संघर्ष देकर सोने की तरह चमकाते हैं।
शनिदेव सूर्य देव और छाया के पुत्र हैं। इसलिए उन्हें छाया पुत्र भी कहा जाता है। जब शनि की साढ़े साती, ढैय्या या महादशा चलती है तो व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों जैसे आर्थिक संकट, नौकरी में समस्या, मान-सम्मान में कमी और परिवार में कलह का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में आने वाली समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत किसी भी माह के पहले शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार 7 शनिवार व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। साथ ही हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि पीपल के पेड़ में शनिदेव का वास होता है। इसलिए हर शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना बेहद शुभ माना जाता है और इससे नकारात्मकता भी दूर होती है और शनिदेव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो जातक व्रत नहीं रह सकते। वे हर शनिवार शाम को दीपक जरूर जलाएं।