PM Modi Address These Foreign Parliament in 2025: जैसे-जैसे साल 2025 अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, भारत की कूटनीतिक सफलताएं विश्व पटल पर चमक रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष कई देशों की यात्राएं कीं, जहां उन्हें वहां की सर्वोच्च संसदों को संबोधित करने का गौरव प्राप्त हुआ। पीएम मोदी अब भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा बार विधायी सभाओं में भाषण दिया है। यह वर्ष न केवल भारत की बढ़ती लोकप्रियता का प्रतीक रहा, बल्कि इसने वैश्विक नेतृत्व के रूप में मोदी के कद को और ऊंचा किया है।
साल 2025 में इन देशों की संसदों में गूंजी भारत की गूंज
राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से साल 2025 भारत के लिए उपलब्धियों भरा रहा। इस साल प्रधानमंत्री मोदी ने अफ्रीका और कैरिबियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने जुलाई 2025 में नामीबिया, घाना और त्रिनिदाद और टोबैगो गणराज्य की संसद को संबोधित किया। इसके बाद दिसंबर 2025 में इथियोपिया की असेंबली में उनका भाषण भारत-अफ्रीका साझेदारी के नए युग की शुरुआत माना जा रहा है। इन देशों की संसदों में पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जो भारत की सॉफ्ट पावर और ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में उसकी भूमिका को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी का अब तक का ऐतिहासिक सफर
पीएम मोदी ने अपने अब तक के कार्यकाल में कुल 18 बार विदेशी संसदों को संबोधित किया है, जो अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड की तरह है। इस सूची में सबसे महत्वपूर्ण अमेरिकी कांग्रेस का संबोधन है, जहां उन्होंने दो अलग-अलग मौकों (2016 और 2023) पर भाषण दिया। उनके भाषणों की यात्रा भूटान (2014) से शुरू होकर नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, श्रीलंका, मॉरीशस, मंगोलिया और ब्रिटेन जैसे देशों तक पहुंची। उन्होंने मालदीव, यूगांडा और अफगानिस्तान की असेंबली में भी अपनी बात रखी, जिससे पड़ोसी देशों और वैश्विक शक्तियों के साथ भारत के संबंध और गहरे हुए।

पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ तुलनात्मक विश्लेषण
अगर हम भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों के रिकॉर्ड पर नजर डालें, तो पीएम मोदी की कूटनीतिक सक्रियता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान 7 बार विदेशी संसदों को संबोधित किया था। वहीं, इंदिरा गांधी ने 4 बार, पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 3 बार और राजीव गांधी व अटल बिहारी वाजपेयी ने 2-2 बार विदेशी असेंबली में भाषण दिया था। मोरारजी देसाई और पीवी नरसिम्हा राव ने एक-एक बार यह सम्मान प्राप्त किया था। मोदी ने इस मामले में सभी पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों को काफी पीछे छोड़ दिया है।
विश्व मंच पर बढ़ती लोकप्रियता का संदेश
पीएम मोदी को न केवल विदेशी संसदों में बोलने का मौका मिला, बल्कि उन्हें अब तक सबसे ज्यादा देशों के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। जानकारों का मानना है कि विदेशी संसदों में दिया गया भाषण केवल एक औपचारिकता नहीं होती, बल्कि यह उस देश के साथ भारत के रणनीतिक विश्वास को दर्शाता है। चाहे वह गुयाना में नवंबर 2024 का संबोधन हो या 2015 में मंगोलिया की संसद में दिया गया भाषण, हर बार पीएम मोदी ने भारत की शांति, प्रगति और विकास की गाथा को दुनिया के सामने रखा है। 2025 का साल इस कड़ी में एक सुनहरा अध्याय बनकर जुड़ गया है।