नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के सबसे छोटे नायक पंजाब के फिरोजपुर के रहने वाले सरवन सिंह (Sarwan Singh) को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (National Children’s Award) से सम्मानित किया गया। दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने यह पुरस्कार दिया।
फिरोजपुर जिले के सीमावर्ती गांव तारावाली के रहने वाले 10 वर्षीय सरवन सिंह ने मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए बिना डरे पानी, चाय और लस्सी पहुंचाई और उनका हौसला बढ़ाया। मई 2025 में जब भारत-पाकिस्तान सीमा पर हालात बेहद तनावपूर्ण थे। दुश्मन देश के ड्रोन लगातार सीमा में घुसपैठ कर रहे थे और हर वक्त खतरा बना हुआ था। ऐसे माहौल में लोग घरों से बाहर निकलने से डर रहे थे, लेकिन उस समय यह छोटा बच्चा अपनी जान की परवाह किए बिना सीमा की अग्रिम चौकियों की ओर निकल पड़ता था।
वह रोज अपनी छोटी साइकिल से या पैदल ही भारतीय सेना के जवानों तक ठंडा पानी, बर्फ, दूध, लस्सी, चाय और जरूरी राशन पहुंचाता था। चिलचिलाती धूप, दुश्मन की निगरानी और हमले के खतरे के बीच भी वह पीछे नहीं हटा। यह पुरस्कार उन्हें उनकी अद्वितीय बहादुरी और भारतीय सेना के प्रति निष्ठा के लिए दिया गया।
अवाॅर्ड मिलने पर बहुत खुश हूं: सरवन
सम्मान पाने के बाद सरवन ने कहा कि जब पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ, तो सेना के जवान हमारे गांव आए। मैंने सोचा कि मुझे उनकी सेवा करनी चाहिए। मैं उनके लिए रोज दूध, चाय, छाछ और बर्फ ले जाता था। मुझे पुरस्कार पाकर बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने कभी इसके बारे में सपने में भी नहीं सोचा था।

पंजाब के सीएम ने दी बधाई
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने सरवन को बधाई देते हुए एक्स पर लिखा कि पंजाबियों के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि आज राष्ट्रपति द्वारा हमारे फिरोजपुर के निवासी 10 वर्षीय सरवन सिंह को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हमारे गुरुओं द्वारा दी गई शिक्षाओं पर चलते हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सरवन सिंह ने घर से चाय-पानी और भोजन लाकर सैनिकों की जो सेवा की, वह काबिल-ए-तारीफ है। बच्चे के देश के प्रति हौसले और जज्बे को सलाम।
सेना ने उठाया पढ़ाई का सारा खर्च
सरवन के इस जज्बे को भारतीय सेना भी सलाम कर चुकी है। फिरोजपुर छावनी में एक समारोह के दौरान पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने बच्चे को सम्मानित भी किया था। साथ ही सेना ने उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का जिम्मा उठाया है। सरवन ने पहले कहा था कि वह भी बड़ा होकर सेना में भर्ती होना चाहता है। उसने कहा कि मैं बड़ा होकर फौजी बनना चाहता हूं और देश की सेवा करना चाहता हूं।