लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनात ने बुधवार को बांग्लादेशी और रोहिंग्या की तलाश करने और मंडल मुख्यालयों पर डिटेंशन सेंटर का निर्देश दिया है। सीएम योगी का निर्देश मिलते ही खुफिया एजेंसियां एक्शन में आ गई है। आगरा में सीएम योगी के निर्देश के बाद एक बार फिर घुसपैठियों की तलाश को अभियान चलाया जा रहा है। पूर्व में पकड़े गए बांग्लादेशियों की सूची निकाली गई है। वे क्या करते थे कहां रहते थे। यह देखकर बस्तियों को चिह्नित किया जा रहा है। खुफिया एजेंसियों को अलर्ट किया गया है। कबाड़ और कूड़ा बीनने का काम करने वाले सबसे पहले निशाने पर हैं। उनके बांग्लादेशी और रोहिंग्या होने की संभावना प्रबल है।
पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि पिछले दिनों नगर निगम के कर्मचारियों के सत्यापन के लिए निर्देश मिले थे। डीसीपी सिटी सैयद अली अब्बास नगर निगम के कर्मचारियों का सत्यापन करा रहे हैं। डीसीपी सिटी ने बताया कि नगर निगम में करीब 2200 संविदा कर्मचारी हैं। सभी का रिकार्ड नगर निगम से लिया गया है। थानावार सभी का सत्यापन कराया जा रहा है। कौन कब से रह रहा है। परिवार में कितने सदस्य हैं। क्या काम करते हैं। मूल निवास कहां का है। आधार कार्ड कब बना। मतदाता पहचान पत्र कब बना। किस चुनाव में वोट डाला था। यह सब देखा जा रहा है। संदिग्ध लोगों के बारे में सर्विलांस की मदद से भी साक्ष्य जुटाए जाएंगे। पुलिस ने सत्यापन शुरू कर दिया है।

सबसे पहले वर्ष 2014 में सदर क्षेत्र स्थित वेदनगर बस्ती में धर्मांतरण का मामला प्रकाश में आया था। उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। बस्ती अवैध थी। वहां रहने वाले ज्यादातर कबाड़ का काम करते थे। ज्यादातर के बांग्लादेशी होने का शक था, लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। सिकंदरा क्षेत्र में दो बार बांग्लादेशी पकड़े गए। उनकी बस्ती बसी हुई थी। बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मिले थे। खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर बस्ती पकड़ी गई थीं। पुलिस ने दर्जनों की संख्या में महिलाओं और पुरुषों को जेल भेजा था। उस दौरान यह खुलासा हुआ था कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी कैसे आते हैं। लगभग सभी के पास आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र मिले थे। सभी कागजात फर्जी थे। जगदीशपुरा क्षेत्र में भी पूर्व में बांग्लादेशी पकड़े जा चुके हैं।
पुलिस भी छानबीन में जुटी
खुफिया एजेंसियों ने ऐसे स्थानों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है जहां अवैध बस्तियां हैं। वहां रहने वाले कबाड़ का काम करते हैं। बांग्ला भाषा बोलते हैं। बस्तियों के बारे में गोपनीय रूप से जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि खुफिया एजेंसी के साथ पुलिस भी छानबीन में जुटी हुई है। स्थानीय लोगों से भी ऐसी बस्तियों को चिह्नित करने में मदद ली जा रही है। यह पता लगाया जा रहा है कहां-कहां खाली प्लाट में लोग झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। पूर्व में जब भी बांग्लादेशी पकड़े गए हैं उनका कोई न कोई ठेकेदार जरूर निकला है। ठेकेदार के पास अपना खुद का पक्का मकान मिला है। गाड़ियां भी मिली हैं। पुलिस यह पता लगा रही है कि बस्तियों में रहकर कबाड़ का काम करने वाले किससे जुड़े हुए हैं।