नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अफ्रीका के दो देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में मंगलवार को बोत्सवाना पहुंचीं। अंगोला की तरह, किसी भारतीय राष्ट्रपति की यह बोत्सवाना की पहली राजकीय यात्रा है। इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और आठ कालाहारी रेगिस्तानी चीतों को भारत भेजने के समझौते को अंतिम रूप देना है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा बोत्सवाना के साथ भारत के पुराने और मैत्रीपूर्ण संबंधों को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
अंगोला की राजधानी लुआंडा से उड़ान भरने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू बोत्सवाना की राजधानी गाबोरोने स्थित सर सेरेटस खामा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचीं, जहां उनका स्वागत राष्ट्रपति डुमा गिदोन बोको ने किया। उन्हें 21 तोपों की सलामी और गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति मुर्मू अपने समकक्ष राष्ट्रपति बोको के साथ प्रतिनिधिमंडल-स्तरीय वार्ता करेंगी। दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, कृषि और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिये कई समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान संभावित है। बुधवार को वह बोत्सवाना की राष्ट्रीय सभा के सांसदों को भी संबोधित करेंगी।

इस यात्रा का एक अहम उद्देश्य आठ चीतों को क्वारंटाइन सुविधा में छोड़े जाना भी होगा। यह घटना वन्यजीव संरक्षण पहल ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत बोत्सवाना द्वारा भारत को इन शिकारी जीवों के प्रतीकात्मक सुपुर्दगी को चिन्हित करेगी। ये चीते कालाहारी रेगिस्तान में स्थित घान्जी शहर से लाए गए हैं, जिन्हें गाबोरोने से 10 किलोमीटर दक्षिण में स्थित प्राकृतिक अभ्यारण्य में स्थानांतरित किया गया है।