फ्रांस के बाद इस देश ने की फिलिस्तीन को मान्यता देने की तैयारी, हमास के सामने रख दीं शर्तें

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नई दिल्‍ली । ब्रिटेन(Britain) के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर(Prime Minister Keir Starmer) ने मंगलवार को कहा कि यदि इजरायल(israeli) ने गाजा में युद्धविराम(ceasefire) की दिशा में कदम नहीं उठाया तो ब्रिटेन सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता दे देगा। स्टार्मर ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट से अपने संबोधन में हमास से भी कहा कि वह 7 अक्टूबर को पकड़े गए सभी इजरायली बंधकों को तुरंत रिहा करे, युद्धविराम पर तत्काल सहमत हो, हथियार त्यागने के लिए प्रतिबद्ध हो और यह भी स्वीकार करे कि वह गाजा की शासन व्यवस्था में कोई भूमिका नहीं निभाएगा।

उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा कहा है कि हम फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता तभी देंगे जब यह दो-राष्ट्र समाधान के लिए सबसे प्रभावी और निर्णायक क्षण होगा ताकि यह एक सही शांति प्रक्रिया में योगदान दे सके।’ उन्होंने कहा, ‘अब जब वह (दो-राष्ट्र सिद्धांत) समाधान खतरे में है, तो यही वह समय है जब हमें कार्रवाई करनी चाहिए। इसलिए आज, शांति की दिशा में इस प्रक्रिया के तहत, मैं यह पुष्टि करता हूं कि यदि इजरायल सरकार ने गाजा में भयावह स्थिति को समाप्त करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया, युद्धविराम पर सहमत नहीं हुई और दीर्घकालिक, टिकाऊ शांति की ओर प्रतिबद्ध नहीं हुई, जिससे द्वि-राष्ट्र समाधान की संभावना फिर से बहाल हो, तो ब्रिटेन सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे देगा।’

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी अपील में संयुक्त राष्ट्र को सहायता की आपूर्ति पुनः शुरू करने देना तथा यह स्पष्ट किया जाना शामिल है कि पश्चिमी मट पर कोई कब्जा नहीं होगा। उन्होंने दोहराया कि सितंबर में यह आकलन किया जाएगा कि पक्षों ने इसकी शर्तों को किस हद तक पूरा किया है। स्टार्मर ने बताया कि उन्होंने सोमवार को स्कॉटलैंड में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की थी, जिससे गाजा में मानवीय आपूर्ति फिर शुरू करने के लिए एक बड़े प्रयास का मार्ग प्रशस्त हुआ।

उन्होंने कहा, ‘हमारा लक्ष्य एक सुरक्षित और संरक्षित इजरायल के साथ-साथ एक व्यवहारिक और संप्रभु फिलिस्तीनी राष्ट्र भी है। लेकिन इस समय यह लक्ष्य पहले से कहीं ज्यादा दबाव में है।’ यह घटनाक्रम फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के उस निर्णय के बाद हुआ है, जिसके तहत फ्रांस पश्चिम एशिया संघर्ष के बीच इजरायल पर दबाव बनाने के लिए फिलिस्तीन राष्ट्र को मान्यता देने की घोषणा करने वाला पहला जी-7 देश और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का पहला स्थायी सदस्य बन गया।

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