पहलगाम हमले के बाद अटारी बॉर्डर बंद- पाकिस्तान को मंहगाई का झटका, दवा से लेकर महंगी होंगी ये चीज़ें

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नई दिल्ली: कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया है। मंगलवार, 22 अप्रैल को हुए इस नृशंस हमले में आतंकियों ने 26 निर्दोष और निहत्थे सैलानियों को सिर्फ उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया। भारत ने इस हमले के पीछे सीधे तौर पर पाकिस्तान का हाथ बताया है और जवाब में एक के बाद एक कड़े कदम उठाए हैं। इन्हीं कदमों में सबसे बड़ा फैसला अटारी बॉर्डर को बंद करने का है, जिससे भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार पूरी तरह ठप हो गया है।

अटारी बॉर्डर का बंद होना क्यों है अहम?

पंजाब के अमृतसर में स्थित अटारी बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का मुख्य ज़रिया है। इसी रास्ते से दोनों देशों के बीच दवाओं से लेकर मसालों और कृषि उत्पादों का लेन-देन होता रहा है। अब इस रास्ते के बंद होने से दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर गहरी चोट पड़ी है।

2024 में व्यापार में आई थी तेजी

2024 में भारत-पाकिस्तान व्यापार में 127% की बंपर वृद्धि हुई थी और यह आंकड़ा 1.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था, जो 2023 के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। हालांकि, यह आंकड़ा 2019 से पहले के 3 बिलियन डॉलर के स्तर से अब भी काफी कम है। पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के व्यापार में बड़ी गिरावट आई थी और अब एक बार फिर स्थिति वैसी ही बनती दिख रही है।

पाकिस्तान को होगा बड़ा नुकसान

भारत पाकिस्तान को मुख्य रूप से दवाइयां, चाय, स्टील, नमक, टमाटर जैसी जरूरी वस्तुएं निर्यात करता है, जबकि पाकिस्तान से भारत खजूर, बादाम, मसाले और हर्ब्स आयात करता है। अब पाकिस्तान को ये चीजें भारत से नहीं मिलेंगी और उसे इन्हें यूएई, सिंगापुर और श्रीलंका जैसे देशों के ज़रिए आयात करना पड़ेगा, जिससे ट्रांसपोर्टेशन लागत बढ़ेगी।

आम जनता पर बढ़ेगा बोझ

विशेषज्ञों का कहना है कि इन हालातों में पाकिस्तान में दवाओं और जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ सकती हैं। खासतौर से फार्मा सेक्टर को बड़ा झटका लगेगा। इसके कारण देश की गरीब आबादी को महंगाई का सीधा असर झेलना पड़ सकता है। दूसरी ओर, भारत की निर्भरता पाकिस्तान पर कम है, इसलिए भारत पर इसका असर सीमित रहेगा। इस हमले के बाद भारत का रुख बेहद सख्त नजर आ रहा है। अटारी बॉर्डर का बंद होना सिर्फ एक व्यापारिक निर्णय नहीं, बल्कि एक राजनयिक और रणनीतिक संदेश है कि भारत अब हर आक्रामक कार्रवाई का जवाब उसी अंदाज में देगा – कूटनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा के मोर्चे पर।

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