भोपाल. अर्चना तिवारी (Archana Tiwari) मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए जीआरपी भोपाल (GRP Bhopal) ने परिजनों (family) को अर्चना को सौंप दिया. जानकारी के अनुसार, भोपाल लाकर सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद जीआरपी ने अर्चना को परिजनों के हवाले किया. बताया जा रहा है कि मीडिया (Media) से बचाने के लिए जीआरपी ने अर्चना को सीधे भोपाल के बाहरी इलाके 11 मील तक ले गई. यहां गुपचुप तरीके से परिजनों को सुपुर्द किया गया. मामले को लेकर अधिकारियों ने किसी तरह की आधिकारिक जानकारी साझा करने से परहेज किया है.
7 अगस्त को हुई थी गायब
बता दें कि 7 अगस्त को नर्मदा एक्सप्रेस से कटनी के लिए रवाना हुईं अर्चना तिवारी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सकीं. इसके बाद परिजनों ने भोपाल के रानी कमलापति जीआरपी थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. शिकायत के बाद पुलिस ने रानी कमलापति से लेकर इटारसी और कटनी तक के इलाकों में सुराग तलाशे. इस दौरान रेलवे स्टेशनों और आसपास के क्षेत्रों के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए. जांच में सामने आया कि तिवारी की आखिरी लोकेशन इटारसी स्टेशन पर दर्ज हुई थी.

11 अगस्त को अर्चना सारांश के साथ हैदराबाद से दिल्ली पहुंचीं
11 अगस्त को अर्चना सारांश के साथ हैदराबाद से दिल्ली पहुंचीं और वहां से टैक्सी के माध्यम से नेपाल के धनगढ़ी रवाना हो गईं. धनगढ़ी से वह काठमांडू पहुंचीं, जहां सारांश ने अपने परिचित वायपी देवकोटा की मदद से उन्हें एक होटल में ठहराया और खुद इंदौर लौट आया. कुछ दिन बाद देवकोटा ने अर्चना को नेपाल की एक सिम कार्ड उपलब्ध कराई, जिसके जरिए वह व्हाट्सएप पर सारांश से संपर्क में बनी रहीं.