महाकाल में भस्म आरती, बाबा विश्वनाथ ने स्वर्ण मुकुट पहना

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उज्जैन: सावन की दूसरे सोमवार मंदिरों में शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है। सुबह से ही मंदिरों में ‘बम-बम भोले’, ‘हर-हर महादेव’ के स्वर लोगों को ऊर्जा भर रहा है। मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के पट रात 2.30 बजे खोले गए और सुबह भस्म आरती की गई है।

उज्जैन में महाकाल के दर्शन पाने के लिए श्रद्धालु लाइनों में लगे हुए है। महाकाल मंदिर में सावन सोमवार पर महाकाल की सवारी निकाली जाएगी है।श्रावण मास भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय माह माना गया है। मान्यता है कि श्रावण माह में शिव आराधना करने से सभी कष्टों से तुरंत मुक्ति मिलती है। श्रावण के सोमवार पर महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की विशेष भस्मारती की गई। भस्मारती के पहले बाबा को जल से नहलाकर महा पंचामृत अभिषेक किया गया, जिसमें दूध ,दही ,घी, शहद व फलों के रसों से अभिषेक हुआ। अभिषेक के बाद भांग और चन्दन से भोलेनाथ का आकर्षक श्रंगार किया गया और भगवान को वस्त्र धारण कराए गए। इसके बाद बाबा को भस्म चढाई गई।

महाकाल की सवारी का विशेष महत्व होता है। इस सवारी के दौरान महाकाल रथ पर विराजमान होकर पूरे नगर का भ्रमण करते हैं। इस सवारी के दौरान ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं। भक्तजन महाकाल की भक्ति में डूब जाते हैं और जोर-जोर से जयकारे लगाते हैं। इस सवारी को महाकाल की शक्ति और महिमा का प्रतीक माना जाता है। आज यानी सावन के दूसरे सोमवार पर महाकालेश्वर मंदिर से निकलने वाली ऐतिहासिक सवारी अनोखे रंगों और सांस्कृतिक स्वरूप में सजी नजर आएगी। आज भक्तों को महाकाल के एक साथ दो रूपों में दर्शन होंगे। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर तथा हाथी पर मनमहेश रूप में सवार होकर भगवान शंकर दर्शन देंगे।

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