निर्माण श्रमिकों के लिए बड़ी राहत, यूपी सरकार की ‘निर्माण कामगार मृत्यु व दिव्यांग सहायता योजना’ से मिलेगा 5.25 लाख तक का लाभ

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UP News: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के निर्माण श्रमिकों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण योजना है ‘निर्माण कामगार मृत्यु व दिव्यांग सहायता योजना’, जो लाखों श्रमिक परिवारों के लिए जीवनरेखा साबित हो रही है. इस योजना के तहत अगर किसी श्रमिक की दुर्घटना या बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी रूप से दिव्यांग हो जाता है, तो उसके परिवार को 5.25 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद दी जाती है.

योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य है- निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों या उनके आश्रितों को संकट की घड़ी में आर्थिक सहयोग देना. यदि कोई श्रमिक किसी दुर्घटना या बीमारी के कारण दिवंगत हो जाता है या दिव्यांगता का शिकार हो जाता है, तो उसके परिवार को जीवनयापन के लिए आर्थिक सहायता मिल सके.

योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक मदद
दुर्घटना में मृत्यु:- ₹5,25,000 (जिसमें 25,000 रुपए अंत्येष्टि के लिए और 5 लाख रुपए पांच वर्षों तक किस्तों में दिए जाएंगे)

सामान्य मृत्यु:- ₹2,25,000 (25,000 रुपए अंतिम संस्कार के लिए और 2 लाख रुपए मासिक किस्तों में)

गैर-पंजीकृत श्रमिक की कार्यस्थल पर मृत्यु:- 1 लाख रुपए एकमुश्त

पूर्ण स्थायी दिव्यांगता (100%):- ₹4 लाख (4 साल तक मासिक किस्तों में लगभग 9,172 रुपए प्रति माह)

दिव्यांगता के अनुसार सहायता राशि:-

100% दिव्यांगता- ₹4,00,000

50-99% दिव्यांगता- ₹3,00,000

26-49% दिव्यांगता- ₹2,00,000

आवेदन प्रक्रिया
ऑनलाइन आवेदन करने के लिए सबसे पहले उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की वेबसाइट पर जाएं. फिर “श्रमिक पंजीकरण” पर क्लिक कर नया रजिस्ट्रेशन करें. इसके बाद योजना आवेदन फॉर्म भरें, आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें और सबमिट करें. वहीं ऑफलाइन आवेदन के लिए श्रमिक अपने नजदीकी श्रम कार्यालय, तहसील या ब्लॉक विकास अधिकारी कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं. फॉर्म भरकर सभी दस्तावेजों के साथ जमा करना होगा.

जरूरी दस्तावेज
श्रमिक का रजिस्ट्रेशन आईडी

मृत्यु प्रमाण पत्र या दिव्यांगता प्रमाण पत्र

आधार कार्ड और बैंक पासबुक की कॉपी

एफआईआर या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (दुर्घटना की स्थिति में)

स्वघोषणा पत्र कि किसी अन्य योजना से लाभ नहीं लिया गया है

आवेदन पर फैसला
आवेदन मिलने के बाद जांच अधिकारी को 15 दिन के भीतर उसे स्वीकृत या अस्वीकृत करना होता है. यदि आवेदन खारिज होता है, तो उसका कारण भी बताना अनिवार्य है. यह योजना उत्तर प्रदेश के श्रमिकों के लिए न केवल आर्थिक सुरक्षा बल्कि उनके परिवारों के लिए एक स्थायी सहारा साबित हो रही है.

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