यूपी के स्कूलों में बच्चों के हार्ट की होगी स्क्रीनिंग,बढ़ रही घटनाओं के मद्देनजर योगी सरकार ने उठाया कदम

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में 5 से 15 वर्ष के बच्चों के दिल से जुड़ी बीमारियों की स्क्रीनिंग होगी। बच्चों में हार्ट अटैक की बढ़ रही घटनाओं के मद्देनजर योगी सरकार ने यह कदम उठाया है। दिल के वाल्व से जुड़ी बीमारी रूमेटिक ह्दय रोग (आरएचडी) पीड़ित बच्चों का पीजीआई में इलाज होगा। इसी माह बाराबंकी के तीन, लखनऊ में 10 माह के भीतर तीन बच्चों की असमय मौतें हुईं हैं। पीजीआई ने रूमेटिक ह्दय रोग (आरएचडी) रोको पहल अभियान का प्लान प्रदेश सरकार और स्टैनफोर्ड बायो डिजाइन ने मिलकर तैयार किया है। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा इस अभियान का और पीजीआई निदेशक पद्मश्री डॉ. आरके धीमान संस्थान की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। स्क्रीनिंग प्रोग्राम लखनऊ से अगस्त में शुरू होगा। इसके बाद इसे प्रदेश भर में लागू किया जाएगा।

एक हजार में पांच को हो सकती समस्या
पीजीआई के कार्डियालॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आदित्य कपूर का कहना है कि आरएचडी में दिल के वाल्व में सिकुड़न व लीकेज की समस्या होती है। विश्व में इस बीमारी के कुल मामलों में अकेले करीब 50 फीसदी देश में है। डॉ. कपूर ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार यह बीमारी एक हजार बच्चों में से औसतन पांच तक में हो सकती है। उपचार में देरी पर यह जानलेवा हो सकता है। इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने आरएचडी रोको अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। डॉ.कपूर ने बताया कि एक मौखिक प्रश्नावली और एआई-स्टेथोस्कोप से आरएचडी की सटीक पहचान होगी। संस्थान में इसका परीक्षण किया जा चुका है।

खांसी, बुखार, सीने में दर्द व सांस लेने में तकलीफ की होगी स्क्रीनिंग
डॉ. आदित्य कपूर का कहना है कि इस बीमारी के खात्मे के लिये चार चरण में प्लान तैयार किया गया है। पहले चरण में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) को मौखिक प्रश्नावली में सवाल बनाकर दिए गये है। इनके कर्मचारी स्कूलों में जाकर बच्चों से खांसी, बुखार, चलने में थकान, सीने में दर्द व सांस की तकलीफ के सवाल पूछेंगे। दूसरे चरण में आर्टीफिशियल आधारित डिजिटल स्टेथोस्कोप की मदद से इन बच्चों के दिल की धड़कन की जांच की जाएगी। तीसरे चरण में धड़कन में कोई असामानता मिलने पर नजदीकी जिला अस्पताल में ईको जांच कराई जाएगी। जांच में बच्चों के दिल के वाल्व में सिकुड़न व लीकेज की पुष्टि होने पर चौथे चरण में इन बच्चों को पीजीआई लाकर उपचार किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर सीवीटीएस विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके अग्रवाल के निर्देशन में इन बच्चों की सर्जरी की जाएगी।

हर ओपीडी में आते हैं पांच रोगी
डॉ. कपूर ने बताया कि संस्थान की ओपीडी इसके औसतन पांच रोगी हर ओपीडी में आते हैं। यहां रेफरल सेंटर होने की वजह से रोगी काफी देर में पहुंचते हैं। बीमारी काफी बढ़ जाती है। इस अभियान के तहत बच्चों की स्क्रीनिंग से बीमारी जल्द पकड़ में आएगी। जल्दी उपचार से जोखिम कम होगा। बच्चों में बुखार, खांसी, खेलते समय जल्दी थकान,सांस फूलना, सीने में दर्द आदि के लक्षण को नजर अंदान नहीं करना चाहिए। यह दिल के बीमारी के संकेत हो सकते हैं। डॉक्टर से मिलकर जांच कराएं।

लक्षण
– सांस लेने में समस्या

– सीने में दर्द

– असामान्य दिल की धड़कन

– दिल का तेज धड़कना

– टखना और पैरों में सूजन

बच्चों की हुई आकस्मिक मौत

यहां स्कूली बच्चों की आकस्मिक मौत
बाराबंकी
-एक जुलाई 2025:कक्षा सात का छात्र

-20 जुलाई 2025:11 की छात्रा

-25 जुलाई 2025 : कक्षा 10 का छात्र

लखनऊ
-13 सिम्बर 2024- तीसरी कक्षा की छात्रा

-25 सितम्बर 2024 -12 वीं का छात्र

-20 अक्टूबर 2024- 10 वीं की छात्रा

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