लखनऊ: यूपी में तीन जनवरी से संगम की रेती पर लगने वाला माघ मेला और खास होने वाला है। ऐतिहासिक महाकुम्भ के बाद लगने वाले पहले माघ मेले की खासियत इसी बात से प्रदर्शित होती है कि पहली बार माघ मेले का लोगो जारी किया है। माघ मेले के इतिहास में यह पहला अवसर है जब लोगो जारी किया गया है। अभी तक कुम्भ और महाकुंभ के दौरान लोगो जारी किया जाता था। माघ मेला का लोगो भारतीय दर्शन और सनातन परंपरा का प्रतीक है। इसमें उगते हुए सूर्य को दर्शाया गया है। जिस पर 14 चंद्रमा की आकृति उकेरी गई है। जो प्रतिपदा से पूर्णिमा तक के दृश्य को दिखा रहा है। संगम की तपोभूमि व ज्योतिषीय गणना के अनुसार माघ मास में संगम की रेती पर अनुष्ठान करने की महत्वता को समग्र रूप से दर्शाया गया है।
सूर्य एवं चंद्रमा की 14 कलाओं की उपस्थिति ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य, चंद्रमा व नक्षत्रों की स्थितियों को प्रतिबिंबित करता है जो प्रयागराज में माघ मेले का कारक बनता। प्रयागराज के अविनाशी अक्षयवट को भी लोगो में समावेशित किया गया है। माघ महीने में यहां आने वाले लोग बड़े हनुमान मंदिर जाते हैं, इसलिए मंदिर के शिखर के साथ इसकी ध्वज पताका को प्रमुखता के साथ लोगो में दर्शाया गया है।

संगम पर आने वाले प्रत्येक दर्शनार्थी के लिए यहां विदेशी परिंदे भी खास होते हैं। इसे भी जगह दी गई है और नीचे की ओर गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की बहती धारा को इसमें रखा गया है। यह आयोजन पूरा करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संत गंगा स्नान के दौरान सूर्य को अर्घ्य देते दिख रहे हैं।
माघ महीने में स्नान से पापों से मुक्ति का संदेश
लोगो में सबसे खास संदेश को दिखाया गया है। श्लोक ‘माघे निमज्जनं यत्र पापं परिहरेत् तत:’ लिखा गया है। जिसका अर्थ है कि माघ के महीने में स्नान करने से सभी पाप से मुक्ति मिल जाती है। यह लोगो मेला प्राधिकरण की ओर से आबद्ध किए गए डिजाइन कंसल्टेंट अनुपम सक्सेना व प्रागल्भ अजय ने डिजाइन किया।