मुआवजा नहीं, अपराधियों को सजा दिलाना चाहता है आम नागरिक- सुप्रीम कोर्ट रिटायर्ड जज

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज वी रामसुब्रमण्यम ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में आम आदमी का विश्वास सिविल न्याय प्रशासन से भी ज्यादा है. रामसुब्रमण्यम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं. उन्होंने संविधान क्लब में देश के पहले व्यापक आपराधिक कानून डेटाबेस के शुभारंभ पर ये बात कही. उन्होंने कहा कि एक समाज के रूप में हमारी मानसिकता सभी सिविल मामलों को आपराधिक मामलों में बदलने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि एक वकील के रूप में मैंने ऐसे लोगों को देखा है जिन्होंने पैसे उधार लिए थे. वो अपना पैसा वापस नहीं पा सके. वे सभी मेरे पास आते थे और मुझसे कहते थे कि किसी तरह आप इसे आपराधिक मामले में बदल दें, ताकि उन्हें अपना पैसा वापस मिल जाए.

वी रामसुब्रमण्यम ने कहा कि इसलिए सभी नुकसानों के बावजूद, आपको यह वास्तविकता स्वीकार करनी होगी कि आपराधिक न्याय प्रशासन प्रणाली के सभी नुकसानों के बावजूद, इस आपराधिक न्याय प्रणाली में आम आदमी का विश्वास सिविल न्याय प्रशासन से ज्यादा है.एनएचआरसी अध्यक्ष ने नागरिकों के जीवन को आसान बनाने, व्यापार समुदाय के नियमों के पालन के बोझ और राज्य के संसाधन आवंटन के तीन अहम नजरिये से ज्यादा अपराधीकरण के व्यापक प्रभावों पर भी बात की है. कार्यक्रम के दौरान एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई. डेटाबेस पिछले 174 सालों में लागू किए गए 370 केंद्रीय कानूनों के तहत किए गए हर आपराधिक कामों और उसकी चूक का दस्तावेजीकरण करता है. ये कुल 45 विषय क्षेत्रों में फैला हुआ है.

इसका उद्देश्य नागरिकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को देश में अपराधीकरण के दायरे और सीमा की गहरी समझ के साथ सशक्त बनाना है. यह दंड के फैसले के समय आने वाली विसंगतियों को सामने लाता है. साथ ही भविष्य के प्रयासों को अपराधीकरण और आपराधिक कानून बनाने की दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए एक सैद्धांतिक रूपरेखा का प्रस्ताव करता है.

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