कांग्रेस ने SIR पर देश और जनता को गुमराह करने का प्रयास किया: अमित शाह

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नई दिल्ली । लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपना जवाब दिया। अमित शाह ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि इस विषय पर चर्चा के लिए सत्र की शुरुआत में दो दिन गतिरोध भी हुआ। इस एक प्रकार की गलतफहमी और गलत धारणा जनता के बीच में पड़ी कि हम लोग चर्चा नहीं करना चाहते। लेकिन हम भाजपा और एनडीए वाले चर्चा से कभी नहीं भागते, लेकिन चर्चा संसद के नियमों के अनुसार होनी चाहिए।

अमित शाह ने कहा कि विपक्ष मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा के लिए अड़ा है, जबकि इस सदन में एसआईआर पर चर्चा नहीं हो सकती, क्योंकि यह प्रक्रिया चुनाव आयोग की है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त सरकार के तहत काम नहीं करते हैं, इसलिए अगर सदन में एसआईआर पर जब चर्चा होगी तो उससे जुड़े सवालों का जवाब कौन देगा? उन्होंने कहा कि चर्चा चुनाव सुधारों के लिए तय हुई थी, लेकिन विपक्ष के ज्यादातर सदस्यों ने एसआईआर पर ही चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस एसआईआर पर एकतरफा चार महीने से झूठ फैलाया गया और देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया गया।

अमित शाह ने कहा कि मैंने एसआईआर की प्रक्रिया का, इससे जुड़े हुए संवैधानिक अनुबंधों का और भूतकाल में हुए एसआईआर का गहन अध्ययन किया है। उन्होंने कहा कि मैं इस सदन के माध्यम से कांग्रेस द्वारा फैलाए गए झूठ का जवाब देना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि इस देश के संविधान से, संविधान के अनुच्छेदों से चुनाव आयोग की रचना हुई है। एक प्रकार से चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। संविधान के अंदर चुनाव आयोग का गठन, उसकी शक्तियां, चुनावी प्रक्रिया, मतदाता की परिभाषा और मतदाता की सूची को तैयार करने और उसको सुधार करने की शक्तियों के बारे में स्पष्ट प्रावधान किया गया।

उन्होंने कहा कि जब ये प्रावधान किए गए, तब हमारी पार्टी बनी भी नहीं थी। हमारी पार्टी के अलावा जो लोग हैं, उन्होंने संविधान सभा में चर्चा के बाद इस संविधान को बनाया था। अमित शाह ने कहा कि हमारे संविधान ने फ्री एंड फेयर चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग को सौंपी। मतदाता सूची बनाने और मतदाता सूची में सुधार करने की जिम्मेदारी भी चुनाव आयोग की तय की है। संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग का गठन, चुनाव आयुक्त की नियुक्ति, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के चुनाव का संपूर्ण नियंत्रण संविधान ने चुनाव आयोग को दिया है।

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