550 साल से एक ही मंज़िल पर थमा है विकास… आस्था है या कोई राज?

जब डोली के साथ आई देवी... और गांव की किस्मत हमेशा के लिए बदल गई!

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पंजाब: चंडीगढ़ से करीब 10 किलोमीटर दूर मौजूद है जयंती देवी माता का मंदिर। जिसका इतिहास काफ़ी पुराना है। यहां के बुजुर्गों की माने तो ये मंदिर लोदी वंश से भी लगभग 550 साल पुराना है। लोगों का मानना है कि माता इस इलाके में बसे 5 गांवों की हर तरह से मदद करती हैं। यहां तक की किसी भी तरह की मुसीबत आए तो माता के मंदिर द्वारा लोगो को बचाया जाता है। हैरत की बात ये है कि इलाके में कोई सरकारी फरमान नहीं है, बावजूद उसके यहां कोई भी इंसान पहली मंजिल से ऊपर दूसरी मंजिल नहीं बनाता। अब ये श्रद्धा है या कुछ और ये कोई नही जानता।

 

मोहाली के गांव जयंती माजरी में माता का ये मंदिर प्राचीन  और विशाल है। इलाके के लोगों में जिसकी अलग-अलग मान्यताएं हैं। यहां साल में दो बार नवरात्रि में मेला लगता है। जिसमें दूर दूर से आकर लोग माथा टेकते हैं। खास बात ये ही कि माता के मंदिर को लेकर इलाके के लोगों ने कई तरह की धारणाएं बना रखी हैं।
अब आपको बता देते हैं कि ये 5 गांव जिनकी चर्चा काफ़ी देर से हो रही है। इनका नाम हैं क्या?

5 माजरिओं के नाम से पुकारे जाने वाले 5 गांव जयंती माजरी, गुडा, कसौली, भगिंडी, करोदेवाल हैं जिनमें कही सुनी बातों के चलते कोई भी व्यक्ति मकान की दूसरी मंजिल नहीं बनाता है। ये कहानी आपको थोड़ी अजीब लगे लेकिन मंदिर के पीछे मान्यता है कि जब माता का मंदिर बना था तो कहा गया कि उससे ऊपर किसी भी मकान की छत नहीं होनी चाहिए। शायद इसलिए भी लोगों ने इस परंपरा को बनाए रखा हैं और शायद आज भी इसी के चलते गांव के लोग मकान की दूसरी मंजिल नहीं बनाते हैं।

गांव वालों की तो मंदिर का इतिहास राजा की बेटी के साथ जुड़ा है। उस वक्त इस इलाके में छात्रों हथनौर नाम के राजा राज करता था। जिसके 22 भाई थे। राजा के एक भाई की शादी कांगड़ा के राजा की बेटी के साथ तय हो गई थी। लेकिन कांगड़ा के राजा की बेटी बचपन से ही जयंती देवी की पूजा करती थी। शादी के बाद उसे जयंती माता से दूर होने का दर सता रहा था।

माना जाता है कि माता ने राजा की बेटी को सपने में कहा कि वह उसके साथ चलेगी। जब हथनौर के राजा की शादी राजकुमारी से हुई और उसकी डोली चलने लगी तो अचानक से डोली भारी हो गई। जिसकी वजह राजकुमारी ने अपने पिता को बताई। तभी माता जयंती देवी की मूर्ति राजकुमारी की डोली के साथ जयंती माजरी गांव आई। राजकुमारी ने माता जयंती देवी का मंदिर बनाकर पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया था। करीब 200 साल उसके परिवार ने मंदिर की देखभाल की, लेकिन उस समय मुल्लापुर का राजा था गरीबदास नाम था। उसने हथनौर राज्य पर हमला कर अपना कब्ज़ा कर लिया। सोचने वाली बात ये है कि राजा गरीबदास भी माता जयंती देवी का भक्त था। उसने माता जयंती देवी के मंदिर का जीर्णोद्धार कर पूजा पाठ शुरू कर दिया।

जयंती देवी कांगड़ा घाटी की 7 देवियों में से एक हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि कांगड़ा घाटी में 7 देवियों की मान्यता है। उनमें से जयंती देवी का भी एक रूप है। इनमें नैना देवी, ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी, माता मनसा देवी, ब्रजेश्वरी, चामुंडा देवी और जयंती देवी है। यहां माता के मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुआं भी है जिसका पानी हमेशा मीठा रहता है।

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