नोएडा: जन्माष्टमी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जन्माष्टमी का पर्व भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को आता है। आपको बता दें इस पर्व पर लोग उपवास रखते हैं, मंदिर सजाते हैं और रात 12 बजे भगवान का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर जगह-जगह झांकियां सजाई जाती हैं, जिनमें कृष्ण के बचपन की लीलाओं को दिखाया जाता है। बच्चे राधा और कृष्ण की वेशभूषा में सजकर कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। सबसे खास आकर्षण दही-हांडी होता है, जिसमें टीमें मिलकर मटकी फोड़ती हैं और उत्साह का माहौल बना देती हैं।
क्या आप जानते हैं कि जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को किस विशेष प्रकार के भोग लगाए जाते हैं? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं-
माना जाता है कि नंदलाल को दूध, दही, मक्खन और मिठाइयाँ बेहद पसंद थीं, इसलिए उनके जन्मोत्सव पर यही प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा
पंचामृत यानी की दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण।
माखन मिश्री लड्डू जिसे जन्माष्टमी की खास मिठाई भी कहा जाता है
फलाहार जैसे केले, सेब, अंगूर, अनार आदि ताजे फल
सूखे मेवे जैसे बादाम, काजू, पिस्ता और किशमिश
खीर – दूध और चावल से बनी खीर जन्माष्टमी का पारंपरिक भोग है।
पंजीरी – आटे, घी और चीनी से बनी यह प्रसाद में दी जाती हैं
पेड़े और मिठाइयाँ मथुरा और वृंदावन के प्रसिद्ध पेड़े विशेष भोग माने जाते हैं।
सत्तू यह भी कई जगह जन्माष्टमी पर भगवान को अर्पित किया जाता है।

भक्त भगवान को उनका प्रिय आहार अर्पित कर अपनी भक्ति और प्रेम प्रकट करते हैं। अंत में यही भोग प्रसाद स्वरूप सभी भक्तों में बाँटा जाता है।
आज के समय में जब लोग भागदौड़ और तनाव से जूझ रहे हैं, जन्माष्टमी हमें सरल जीवन, सच्चे कर्म और आपसी प्रेम की याद दिलाती है। यही कारण है कि यह त्योहार हर उम्र के लोगों को उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
लेकिन जन्माष्टमी सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं है, यह हमें गहरा संदेश भी देती है। श्रीकृष्ण ने गीता के माध्यम से जो उपदेश दिए, वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। वे हमे बताते हैं कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जीवन जीना चाहिए कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और विवेक नहीं खोना चाहिए। और सबसे जरूरी धर्म के अनुसार अपने कर्म का अनुसरण करें।