चुनाव आयोग ने जारी की उपराष्ट्रपति चुनाव की अहम तारीखें

जानें कब और कैसे होगी वोटिंग, कब आएगा परिणाम, और क्या है पूरी चुनाव प्रक्रिया

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नई दिल्ली:  चुनाव आयोग ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर अहम तारीखों की घोषणा कर दी है। आयोग के अनुसार, यदि आवश्यकता पड़ी तो उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान 9 सितंबर को कराया जाएगा और इसी दिन मतगणना के बाद परिणाम भी घोषित कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

भारतीय चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर शुक्रवार को विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया है। आयोग के अनुसार, यदि आवश्यक हुआ तो मतदान 9 सितंबर 2025 (मंगलवार) को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कराया जाएगा और उसी दिन मतगणना कर परिणाम की घोषणा भी की जाएगी। यह चुनाव जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों के चलते उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद आयोजित किया जा रहा है।

 

चुनाव कार्यक्रम के अनुसार:

 

  • चुनाव की अधिसूचना जारी होगी: 7 अगस्त 2025 (गुरुवार)
  • नामांकन की अंतिम तिथि: 21 अगस्त 2025 (गुरुवार)
  • नामांकन पत्रों की जांच: 22 अगस्त 2025 (शुक्रवार)
  • नाम वापसी की अंतिम तिथि: 25 अगस्त 2025 (सोमवार)
  • मतदान (यदि आवश्यक हुआ): 9 सितंबर 2025 (मंगलवार)
  • मतगणना (यदि आवश्यक हुई): 9 सितंबर 2025 (मंगलवार)

इस घोषणा के साथ ही उपराष्ट्रपति पद के चुनावी प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत हो गई है।

 

उपराष्ट्रपति चुनाव में कितने सांसद डालेंगे वोट? जानें पूरी जानकारी

 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों से बने निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अंतर्गत एकल संक्रमणीय मत पद्धति से किया जाता है। 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के लिए निर्वाचन आयोग ने निर्वाचक मंडल की संरचना की जानकारी दी है।

 

इस मंडल में शामिल हैं:

 

राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में 5 सीटें रिक्त)
राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य
लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में 1 सीट रिक्त)

इस प्रकार कुल 788 संभावित निर्वाचक सदस्य होते हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में 782 सदस्य मतदान के पात्र हैं। चूंकि सभी निर्वाचक संसद के सदस्य होते हैं, इसलिए प्रत्येक सदस्य का मत मूल्य समान यानी 1 निर्धारित होता है।

 

क्या है एकल संक्रमणीय मत पद्धति? जानें इसे आसान भाषा में

संविधान के अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, उपराष्ट्रपति का निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत पद्धति के तहत आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से किया जाएगा, और यह प्रक्रिया गुप्त मतपत्र (Secret Ballot Paper) के माध्यम से संपन्न होगी। इस प्रणाली में प्रत्येक निर्वाचक को सभी उम्मीदवारों के नामों के सामने अपनी प्राथमिकता (Preference) अंकित करनी होती है। यह प्राथमिकताएं भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप में, रोमन अंकों में, या किसी मान्यता प्राप्त भारतीय भाषा में अंकित की जा सकती हैं, लेकिन इन्हें केवल अंकों में ही लिखा जाएगा — शब्दों में नहीं।
निर्वाचक उतनी प्राथमिकताएं अंकित कर सकता है जितने उम्मीदवार मैदान में हों, लेकिन मतपत्र को वैध (Valid) माने जाने के लिए पहली प्राथमिकता अंकित करना अनिवार्य है। अन्य प्राथमिकताओं का उल्लेख करना वैकल्पिक होता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि मतदाता की पसंद पूरी पारदर्शिता और गोपनीयता के साथ दर्ज की जाए।
मतदान प्रक्रिया की शुद्धता और एकरूपता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग द्वारा विशेष पेन (Pen) उपलब्ध कराया जाएगा, जिसका उपयोग मत चिह्नित करने के लिए किया जाना अनिवार्य होगा। यह विशेष पेन प्रत्येक निर्वाचक को मतदान केंद्र पर, निर्धारित अधिकारी द्वारा मतपत्र सौंपे जाते समय दिया जाएगा। आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मतदाता केवल इसी विशेष पेन का प्रयोग करें। यदि कोई निर्वाचक किसी अन्य पेन से मतपत्र पर चिह्न लगाता है, तो ऐसा मत अविधिमान्य (Invalid) माना जाएगा और मतगणना के समय अस्वीकार कर दिया जाएगा। यह प्रावधान मतों की वैधता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू किया गया है।

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