पहलगाम हमले पर FATF का बड़ा बयान, कहा- आतंकी फंडिंग के बिना ये संभव नहीं

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में कुछ दिनों पहले हुए आतंकी घटना को लेकर FATF ने बड़ा बयान दिया है। आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने सोमववार को कहा कि आतंक फैलाने वालों के समर्थन के बिना पहलगाम हमला नहीं किया जा सकता है। पहलगाम हमले के 55 दिन बाद FATF की ओर से यह बयान आया है। ग्लोबल टेरट वॉच डॉग ने कहा कि आतंकी हमले लोगों को मारते हैं, घायल करते हैं और दुनियाभर में डर फैलाते हैं।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान के लगातार आतंकवाद को समर्थन देने और कई फंड्स को हथियार की खरीद में इस्तेमाल करने की बात को उजागर किया है।

FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल हो सकता है पाकिस्तान
सूत्रों के मुताबिक, ऐसे आतंकी घटना को समर्थन करने के लिए पाकिस्तान को FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल किया जा सकता है। गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने हमला किया था। इसमें एक नेपाली समेत कुल 26 पर्यटकों की मौत हुई थी। बता दें कि ग्लोबल टेरर फंडिंग वॉच डॉग FATF कभी कभार ही आतंकवादी हमलों की निंदा करता है। पिछले एक दशक में यह तीसरा मौका है जब उसने किसी आतंकी हमले की आलोचना की है। इससे पहले 2015 में और फिर 2019 में आतंकवादी हमलों के गंभीर मामलों में संस्था की ओर से निंदा जारी की गई थी।

FATF की एशिया-पेसिफिक ग्रुप (APG) की बैठक 25 अगस्त को होनी है। इसके बाद FATF के वर्किंग ग्रुप की बैठक 20 अक्टूबर को होगी। इन बैठकों से पहले भारत पाकिस्तान के खिलाफ एक डोजियर तैयार कर रहा है। इसमें बताएगा कि पाकिस्तान कैसे फंडिंग का आतंकी गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल कर FATF के नियमों का उल्लंघन कर रहा है।

2022 में ग्रे लिस्ट से बाहर हुआ था पाकिस्तान
आपको बता दें कि साल 2018 में पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। इस दौरान उसने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों की आर्थिक मदद पर लगाम लगाने के लिए एक एक्शन प्लान दिया था। इसके बाद 2022 में FATF ने पाकिस्तान को इस ग्रे लिस्ट से हटा दिया था। सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार, एंटी मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग नियमों का पालन करने में विफल रहने के कारण पाकिस्तान को फिर से ‘ग्रे लिस्ट में डालने के लिए FATF के सामने मजबूत केस रखेगी। FATF की साल में तीन बार (फरवरी, जून और अक्टूबर ) मीटिंग होती है।

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