H-1B वीजा के बदलेंगे नियम! डॉक्टरों को अमेरिका दे सकता है 1 लाख डॉलर की फीस से राहत

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US Visa donald trump: ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए 1,00,000 डॉलर के H-1B वीजा शुल्क से विदेशी डॉक्टरों को राहत मिल सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस छूट से उन अमेरिकी अस्पतालों को बड़ी मदद मिलेगी जो दूरदराज़ के इलाकों में विदेशी डॉक्टरों पर निर्भर रहते हैं। यह जानकारी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 19 सितंबर को नए कानून पर हस्ताक्षर करने के बाद सामने आई। इस कानून के तहत कुछ गैर-अप्रवासी कर्मचारियों के लिए 1 लाख डॉलर का शुल्क तय किया गया था, जिससे भारतीय आईटी सेक्टर में हलचल मच गई थी।

मेयो क्लिनिक, क्लीवलैंड क्लिनिक और सेंट जूड हॉस्पिटल जैसे प्रतिष्ठित संस्थान H-1B वीजा धारकों पर काफी हद तक निर्भर हैं। अकेले मेयो क्लिनिक के पास ही 300 से अधिक H-1B वीजा स्वीकृत हैं। ऐसे में यदि यह शुल्क लागू होता, तो इन संस्थानों को लाखों डॉलर की अतिरिक्त श्रम लागत का सामना करना पड़ता।

हेल्थ सेक्टर में स्टाफ की गंभीर कमी
अमेरिका के हेल्थ सेक्टर में स्टाफ की गंभीर कमी बनी हुई है। कई अस्पताल और हेल्थ सिस्टम अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए मेडिकल रेज़िडेंट्स और विशेषज्ञों को H-1B वीज़ा के जरिए विदेशों से बुलाने पर निर्भर हैं, खासकर उन इलाकों में जहां अमेरिकी प्रशिक्षित डॉक्टर काम करना नहीं चाहते। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (AMA) ने पहले ही चेताया था कि भारी शुल्क लगाने से डॉक्टरों की कमी और गंभीर हो सकती है। इस समय 7.6 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी ऐसे क्षेत्रों में रह रहे हैं जहां प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले चिकित्सकों की भारी कमी है।

अमेरिकी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बेहद अहम कदम
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (AMA) के अध्यक्ष बॉबी मुक्कमाला ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ग्रेजुएट्स अमेरिकी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बेहद अहम हैं। इसी बीच व्हाइट हाउस के प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने ब्लूमबर्ग को बताया कि कानून में कुछ विशेष मामलों में छूट का प्रावधान है, जिसमें डॉक्टर और मेडिकल रेजिडेंट्स भी शामिल हो सकते हैं। यह बयान तब आया जब अस्पतालों और डॉक्टरों के संगठनों ने चिंता जताई थी कि 1 लाख डॉलर की अतिरिक्त लागत से चिकित्सक स्टाफ की कमी और गंभीर हो सकती है।

ट्रंप प्रशासन का नया नियम
सरकार ने साफ किया है कि 1 लाख डॉलर का यह शुल्क सिर्फ 21 सितंबर या उसके बाद दाखिल की गई नई H-1B याचिकाओं पर लागू होगा। यह राशि केवल एक बार देनी होगी, हर साल नहीं। लेकिन इस फैसले ने H-1B वीजाधारकों और उनके नियोक्ताओं में खलबली मचा दी है। 2024 में कुल H-1B वीजा धारकों में लगभग 71 प्रतिशत भारतीय थे, इसलिए सबसे ज्यादा असर उन्हीं पर पड़ने वाला है।

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