बच्चों को शांत कराने के लिए मोबाइल थमाना नुकसानदेह, इससे कम उम्र में घटती है एकाग्रता

0 88

कई बार बच्चे रोते हैं तो पैरेंट्स उन्हें मोबाइल या टैबलेट देकर शांत करा देते हैं। इससे बच्चे उस वक्त तो शांत हो जाते हैं, लेकिन भविष्य में इसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं। दरअसल, 9 साल की उम्र पूरी होने के बाद इस तरह के बच्चे जब दूसरे बच्चों के संपर्क बनाते हैं, तो डिवाइस की लत के चलते उन्हें घुलने-मिलने में दिक्कत होती है।

उनकी एकाग्रता घटती है और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। स्क्रीन का बच्चों पर असर जानने के लिए हाल ही में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी सेंटर आॅफ डेवलपिंग चाइल्ड में हुए एक शोध हुआ। इसमें सामने आया कि 9 साल की उम्र तक ज्यादा समय मोबाइल या टैबलेट के साथ बिताने वाले बच्चों की एकैडमिक परफॉर्मेंस घटती है। मानसिक स्वास्थ भी बिगड़ता है।

शारीरिक एक्टीविटीज से होता है मानसिक विकास
शोध में बताया गया कि ऐसे बच्चों को बचपन में मोबाइल थमाना उनसे बचपन छीनने जैसा होता है। इससे ज्यादा उन्हें बड़ों से बातचीत करने देना ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा उन्हें सोशल एक्टिविटी या शारीरिक गतिविधियां कराने की भी जरूरत है, ताकि शारीरिक और मानसिक विकास हो सके। ऐसे बच्चे भावनात्मक रूप से काफी कमजोर होते हैं। इसका असर लड़कों में ज्यादा होता है। एक अन्य शोध के अनुसार स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है और वे कई बार चुनौतीपूर्ण माहौल में आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं। इससे बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी तो कम होती ही है।

सवालों का जवाब दें, कपड़े व्यवस्थित करना सिखाएं
अगर आप कपड़े तह कर रहे हैं तो बच्चों को भी अपने साथ कुछ कपड़े तह करने के लिए दें। ताकि उनका उस काम में मन लगा रहे। स्क्रीन टाइम का समय निर्धारित करें। ज्यादा से ज्यादा उन्हें प्रश्न करने का मौका दें। जहां तक हो सके उनके सवालों का जवाब भी दें।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.