आपदा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए पहचान और सुधार बहुत जरूरी: PM नरेंद्र मोदी

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि देश में आपदा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए आशंका वाले क्षेत्रों की पहचान कर वहां ऐसा तंत्र विकसित करने की जरूरत है कि आपदा के कारण कम से कम क्षति हो। स्थानीय विज्ञान भवन में आयोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच (एनपीडीआरआर) के तीसरे सत्र का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने आपदा प्रबंधन में स्थानीय भागीदारी बढ़ाने और आपदाओं से जुड़ें खतरों से लोगों को जागरूक करने पर भी बल दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘आपदा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए पहचान (रिक्गनिशन) और सुधार (रिफॉर्म) बहुत जरूरी है।” उन्होंने विस्तार से बताया कि ‘पहचान’ का मतलब ये समझना है कि आपदा की आशंका कहां है और वह भविष्य में कैसे घटित हो सकती है तथा सुधार का मतलब है कि ऐसा तंत्र विकसित किया जाए, जिसमें आपदा की आशंका कम हो जाए। प्रधानमंत्री ने आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए नए दिशा-निर्देश तय करने पर भी बल दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें दो स्तर पर काम करना होगा। पहला, आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों को स्थानीय भागीदारी पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए और दूसरा, हमें आपदाओं से जुड़ें खतरों से लोगों को जागरूक करना होगा।” उन्होंने कहा कि आपदा नियोजन के बेहतर प्रबंधन के लिए पारंपरिक आवास और नगर नियोजन प्रक्रिया को भविष्य की प्रौद्योगिकी से समृद्ध किया जाना चाहिए। आपदा प्रबंधन में प्रौद्योगिकी नवाचार पर ध्यान देने पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थानीय अवसंरचना की प्रतिरोधी क्षमताओं का आकलन वक्त की मांग है।

प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम के दौरान सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार विजेताओं क्रमश: ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) और मिजोरम का लुंगलेई फायर स्टेशन को सम्मानित भी किया। एनपीडीआरआर के दो दिवसीय तीसरे सत्र का विषय ‘‘जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर स्थानीय लचीलेपन का निर्माण” है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में अभिनव विचारों और पहलों, उपकरणों और प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। एनपीडीआरआर में केन्‍द्रीय मंत्रियों, राज्‍यों के आपदा प्रबंधन मंत्रियों, सांसदों, स्थानीय स्वशासन के प्रमुख, विशिष्ट आपदा प्रबंधन एजेंसियों के प्रमुख, शिक्षाविद, निजी क्षेत्र के संगठन, मीडिया और नागरिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित 1000 विशिष्‍ट अतिथि शामिल हैं।

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