नवरात्रि में अगर पीरियड्स आ जाए तो क्या निष्फल होती है पूजा, जानिए क्या कहता है शास्त्र

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Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का दौर चल रहा है। नौ दिनों में से आज माता रानी के चौथे स्वरूप कुष्मांडा माता की पूजा की जा रही है। माता के भक्त, मां को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते है तो वहीं पर नौ दिनों के लिए कलश स्थापना की जाती है, अखंड दीप जलाई जाती है, तो वहीं कुछ लोग सुबह-शाम की नियमित पूजा भी करते हैं। महिला और पुरूष नवरात्रि का व्रत रखते है तो वहीं पर पूजा के कई नियम होते है जिसके बारे में शायद ही कम लोग जानते है। कई बार ऐसा है नवरात्रि के दिनों में पीरियड्स या मासिक धर्म आ जाए तो क्या पूजा सफल होती है या निष्फल। इस बात को शास्त्र के जरिए जानते है।

जानिए नवरात्रि के शास्त्रीय औऱ आधुनिक दृष्टिकोण
यहां पर शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में अगर आपको पीरियड्स या मासिक धर्म की समस्या आ जाए तो, गरुड़ पुराण और याज्ञवल्क्य स्मृति में इसके बारे में उल्लेख किया गया है। कहते है कि, मासिक धर्म के दौरान स्त्री विश्राम करे और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रत्यक्ष रूप से भाग न लें। इसके अलावा शास्त्र में यह भी कहा गया है कि, मंदिर या यज्ञ-कर्म में प्रत्यक्ष भागीदारी (जैसे हवन करना, मूर्ति स्पर्श, पूजा सामग्री चढ़ाना) इस अवधि में वर्जित माना गया है। इसके अलावा मासिक धर्म को पूजा-पाठ के लिए अपवित्र और अशुद्ध माना जाता है इसलिए पूजा पाठ के दौरान पीरियड्स अवस्था में रह रही महिलाएं न आएं। आधुनिक नियम की बात करें तो, पीरियड को अशुद्ध न मानकर प्राकृतिक प्रकिया मानते हैं साथ पूजा पाठ को शारीरिक अवस्था से ना जोड़कर भक्ति भाव से जोड़ते है।

जानिए पीरियड्स आने पर क्या करें
अगर आप नवरात्रि के दौरान पीरियड्स आ जाए तो आपको कुछ सावधानियां बरतना चाहिए।

1- महिलाओं के मासिक धर्म का चक्र 22 से 28 दिनों का होता है। वहीं पर नवरात्रि के बीच में अगर अचानक से मासिक धर्म हो जाए तो, आप पूरे 9 दिनों का व्रत न रखकर विशेष तिथियों जैसे- पहला दिन, अष्टमी, नवमी या अंतिम दिन का व्रत भी रख सकती हैं। यह नियम भी पूजा को सफल करते है।

2-नवरात्रि के दौरान अगर पीरियड्स आ जाए तो, आपको नौ दिनों के व्रत के संकल्प को छोड़ने के बजाय आप फलाहार लेकर उपवास को पूरा कर सकती हैं और मानसिक भक्ति कर सकती है। आप मानसिक जाप या दूर से आरती सुन सकते है।

3-कई महिलाओं को मासिक धर्म के समय दर्द, थकान और कमजोरी भी होती है. ऐसे में शरीर पर दबाव डालकर व्रत या कठिन साधना करने की कोशिश न करें. आप अस्वस्थ हैं तो केवल मानसिक रूप से भी माता रानी का स्मरण कर सकती हैं।

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