Yogasan For Neck Pain: आजकल हर किसी की लाइफस्टाइल अनियमित होती जा रही है। इसमें ही ऑफिस में लंबे समय बैठे रहकर काम करना सेहत पर बुरा असर डाल रही है। इस जीवनशैली में सबसे ज्यादा परेशानी सिर्फ और सिर्फ गर्दन को झेलनी पड़ती है, क्योंकि सारा काम कंप्यूटर के जरिए होने लगा है, जिससे गर्दन की गतिविधि कम होती है और गर्दन और सिर से जुड़ी दिक्कतें परेशान करने लगती हैं। ऐसे में हल्के व्यायाम के जरिए गर्दन से जुड़ी परेशानियों से निजात पाया जा सकता है। इन आसनों से आपकी गर्दन लचीली और दर्द से दूर रहती है।
दिमाग का भार उठाती है गर्दन
यहां पर बात करें तो, हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा गर्दन होती है। इसमें रीढ़ की हड्डी और दिमाग के बीच संचार को बनाए रखने में गर्दन काम करती है। शरीर को लचीलापन देने के लिए गर्दन का एक ही स्थिति में रहना दिक्कत का कारण बनता है। अगर आप गर्दन के दर्द से परेशान है तो, इसका असर सिर्फ गर्दन को प्रभावित नहीं करता है बल्कि सिर, कंधे और रीढ़ की हड्डी को परेशान करने का काम करता है। गर्दन के इन दर्द या बीमारियों में गर्दन में अकड़न, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस, सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस, चक्कर आना, गर्दन की डिस्क में परेशानी होना और रुमेटीइड गठिया शामिल होता है। कई स्थिति में गर्दन का दर्द काफी होती है जिसे मोड़ पाना और हाथों को हिला पाना भी मुश्किल होता है।
योग से गर्दन को मिलता है सहारा
अगर आप गर्दन के दर्द से जूझ रहे है तो आपके लिए योग सबसे सही तरीका है। योगासन करने से गर्दन की तकलीफ दूर होती है वहीं पर सिर व रीढ़ की हड्डी में रक्त का संचार अच्छा रहता है, तनाव कम होता है और कंधे के दर्द में भी आराम मिलता है।

इसके लिए आप सुबह के समय स्ट्रेचिंग का तरीका अपना सकते है। इसमें आप पहले गर्दन को धीरे-धीरे चारों दिशाओं की तरफ घुमाएं और फिर गोल घुमाने की कोशिश करें। अगर गोल घुमाने में चक्कर जैसा महसूस हो तो एक्सरसाइज न करें।
आप गर्दन के दर्द को दूर करने के लिए भुजंगासन (कोबरा पोज़), कैट-काउ पोज, त्रिभुज आसन, चाइल्ड पोज या बालासन कर सकते हैं। इन एक्सरसाइज को करने से गर्दन के दर्द को आराम मिलता है। साथ ही आपके दिमाग औऱ गर्दन के बीच ब्लड सर्कुलेशन भी सुचारू रूप से काम करता है।
गर्दन शरीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा है, जो रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क के बीच संचार को बनाए रखने में मदद करता है। गर्दन मस्तिष्क का भार उठाती है और शरीर को लचीलापन देते हुए गतिविधि में मदद करती है, लेकिन ज्यादा समय तक गर्दन का एक ही स्थिति में रहना दिक्कत कर सकता है।
इसका प्रभाव सिर्फ गर्दन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि सिर, कंधे और रीढ़ की हड्डी को भी प्रभावित करता है। परेशानी होने पर गर्दन में अकड़न, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस, सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस, चक्कर आना, गर्दन की डिस्क में परेशानी होना और रुमेटीइड गठिया शामिल है। ज्यादा खराब स्थिति होने पर गर्दन का मोड़ पाना और हाथों को हिला पाना तक मुश्किल हो जाता है।थायरायड की ग्रंथि भी गर्दन के आगे वाले हिस्से गले में मौजूद है, जो शरीर के लगभग सारे हार्मोन और अंगों के सही संचालन में मदद करती है। गर्दन की एक्सरसाइज करने पर थायरायड ग्रंथि में रक्त का संचार अच्छा रहेगा और हार्मोन का सही उत्पादन होगा।
गर्दन की मालिश भी
एक्सरसाइज के साथ-साथ आप गर्दन दर्द की मालिश भी कर सकते है। यहां पर मालिश के जरिए भी गर्दन के दर्द और होने वाले रोगों से राहत पाई जा सकती है। गर्दन और कंधों के आस-पास गुनगुने तेल से मालिश करनी चाहिए। ऐसा करने से मांसपेशियों में जकड़न कम होगी और रक्त का संचार अच्छे से होगा। मालिश के लिए जैतून का तेल, बादाम का तेल और सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।