भारत और ऑस्ट्रेलिया ने किया नया सुरक्षा समझौता: चीन को चुनौती या रणनीतिक मजबूती?
हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने एक नया सुरक्षा और सामरिक सहयोग समझौता किया है। इसमें पनडुब्बी तकनीक, समुद्री सुरक्षा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक सहयोग शामिल है। जानिए इस समझौते का महत्व और इसके संभावित प्रभाव।
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने किया नया सुरक्षा समझौता: भारत और ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में सुरक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य है- समुद्री और पनडुब्बी संचालन में तकनीकी सहयोग, साझा प्रशिक्षण और युद्धाभ्यास, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखना। “यह समझौता केवल दो देशों के बीच नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा रणनीति में बदलाव का संकेत है।” — Defense Analyst, New Delhi
पनडुब्बी सहयोग — समुद्री ताकत बढ़ाना: समझौते के तहत दोनों देशों के पनडुब्बी बेड़े और तकनीक में साझा प्रशिक्षण शामिल है।
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भारत के Scorpene और अन्य परमाणु/सामरिक पनडुब्बियों का संचालन क्षमता बढ़ेगी।
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ऑस्ट्रेलिया फ्रेंच और अमेरिकी पनडुब्बी तकनीक साझा करेगा।
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दोनों देशों के नौसैनिक दल संयुक्त अभ्यास करेंगे, जिससे समुद्री रणनीति और निगरानी क्षमता मजबूत होगी।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीति: विश्लेषकों के अनुसार, यह समझौता क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने का कदम है।
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चीन के South China Sea और Indo-Pacific मिशनों को नजर में रखते हुए।
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क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने, समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और व्यापारिक जलमार्गों की निगरानी के लिए।
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QUAD देशों (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान) के रणनीतिक दृष्टिकोण के अनुरूप।
संभावित प्रभाव — चीन को चुनौती या क्षेत्रीय मजबूती?
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चीन पर दबाव:
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समुद्री अभ्यास और पनडुब्बी सहयोग से रणनीतिक संतुलन बदल सकता है।
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क्षेत्रीय स्थिरता:
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साझेदार देशों के बीच सामरिक और तकनीकी सहयोग बढ़ेगा।
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आर्थिक प्रभाव:
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समुद्री सुरक्षा से Indo-Pacific व्यापार मार्ग सुरक्षित होंगे।
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“यह समझौता क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के साथ-साथ चीन को संदेश भी देता है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया सामरिक रूप से मजबूत हैं।” — Security Expert, Canberra
