ट्रंप की नाराजगी का कारण: भारत ने नहीं मानी पाकिस्तान शांति वार्ता में उनकी भूमिका

पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप का बड़ा खुलासा—ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्धविराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी

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अमेरिका: अमेरिका ने भारत के सामानों पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगा दिया है। इस पर भारत के पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप का कहना है कि वॉशिंगटन के इस दंडात्मक शुल्क के पीछे एक वजह यह हो सकती है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, मई में हुए सैन्य संघर्ष के बाद पाकिस्तान के साथ हुए शांति समझौते में अपनी कथित भूमिका की अनदेखी किए जाने से भारत से नाराज हैं। कनाडा में पूर्व उच्चायुक्त और प्रसिद्ध लेखक स्वरूप ने पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों को एक अल्पकालिक और मुख्य रूप से वित्तीय हितों पर आधारित सामरिक व्यवस्था बताया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसके बावजूद अमेरिका-भारत संबंध अब भी रणनीतिक स्तर पर मजबूत बने हुए हैं।

पूर्व राजनयिक ने बताया, भारत से क्यों नाराज है अमेरिका?

एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में विकास स्वरूप ने ट्रंप प्रशासन के दबाव में न झुकने के भारत के फैसले की सराहना की और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए टैरिफ का नतीजा अंततः अमेरिका में बढ़ती मुद्रास्फीति के रूप में सामने आएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन शुल्कों के पीछे कई कारण हैं। पहला, ट्रंप भारत से इसलिए नाराज हैं क्योंकि हम ब्रिक्स के सदस्य हैं। उनकी धारणा है कि ब्रिक्स एक अमेरिका-विरोधी गठबंधन है जो डॉलर के विकल्प के रूप में नई मुद्रा बनाने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप का मानना है कि भारत को ब्रिक्स का हिस्सा नहीं होना चाहिए।

ट्रंप के दावे को भारत सरकार ठहराया फर्जी

विकास स्वरूप के अनुसार, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का दूसरा बड़ा कारण मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ हुए शांति समझौते की मध्यस्थता का श्रेय ट्रंप को देने से नई दिल्ली का इनकार है। भारत का शुरू से ही स्पष्ट रुख रहा है कि युद्धविराम वार्ता में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी, क्योंकि भारत किसी भी बाहरी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता। यह समझौता पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक के अनुरोध पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीधे तौर पर हुआ था। स्वरूप ने बताया कि ट्रंप अब तक लगभग 30 बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने ही भारत-पाकिस्तान को परमाणु युद्ध के कगार से बचाया और उपमहाद्वीप में परमाणु संघर्ष रोका। पाकिस्तान ने न केवल उनकी भूमिका को स्वीकार किया, बल्कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया, जबकि भारत ने इसे मान्यता देने से इंकार कर दिया, जिससे ट्रंप नाराज हैं।

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