नई दिल्ली। भारत (India) की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (largest Airline IndiGo) का घरेलू एविएशन (Domestic Aviation) बाजार में करीब 65% हिस्सा है। 2 दिसंबर से अब तक, एयरलाइन ने 5,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द कर दी हैं, जिससे देश भर में 7.75 लाख से अधिक यात्री प्रभावित हुए हैं। और यात्रियों की मुश्किलें जारी हैं, क्योंकि अभी भी उड़ानें रद्द हो रही हैं।
एजेंटों या थर्ड-पार्टी पोर्टल के ज़रिए की गई बुकिंग का रिफंड उन एजेंसियों को यात्री से रिफंड क्लेम मिलने पर प्रोसेस करना चाहिए। जिन प्रभावित यात्रियों ने अपने टिकट कैश में बुक किए हैं, उन्हें एयरपोर्ट टिकट काउंटर पर जाना होगा जहाँ उन्होंने बुकिंग की थी। आपका वैलिड फ्लाइट टिकट और ID प्रूफ दिखाने पर वे रिफंड शुरू कर देंगे।
सूत्रों ने बताया कि रविवार को लगातार छठे दिन भी देश भर में इंडिगो का ऑपरेशन बुरी तरह प्रभावित रहा। एयरलाइन ने मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट पर 220 से ज़्यादा फ्लाइट्स कैंसिल कर दीं।
इंडिगो एयरलाइन्स में उड़ान रद्द होने के हफ्ते ने अब एक बड़ा रूप ले लिया है। एक अज्ञात कर्मचारी द्वारा लिखे गए एक अन-वेरिफाइड ‘खुला पत्र’ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें एयरलाइन के शीर्ष नेतृत्व, जिसमें सीईओ पीटर एल्बर्स भी शामिल हैं, पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अहंकार, थकान भरे काम के घंटे और डराने की संस्कृति के जरिए कंपनी का परिचालन चरमरा दिया है।
सात दिसंबर (रविवार) तक, भारतीय विमान सेवा इंडिगो ने बताया कि उसने उस दिन 650 उड़ानें रद्द कीं, लेकिन साथ ही कहा कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। एयरलाइन के अनुसार, उसके 138 हवाई अड्डा गंतव्यों में से 137 अब पूरी क्षमता से चल रहे हैं।
देशभर में यात्रियों को हो रही भारी असुविधा को देखते हुए एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस ने पूरे देश में कई राहत उपायों की घोषणा की है। दोनों एयरलाइंस ने 4 दिसंबर से सभी नॉन-स्टॉप घरेलू उड़ानों पर इकोनॉमी क्लास किराए की सीमा (कैप) तय कर दी है, जिससे मांग बढ़ने पर भी किराया अपने आप नहीं बढ़ेगा। दोनों विमानन कंपनियां नागरिक उड्डयन मंत्रालय के 6 दिसंबर को जारी नए निर्देश के अनुसार किराया निगरानी तंत्र का पूरी तरह पालन कर रही हैं।
इस कठिन समय में यात्रियों के लिए अधिक लचीला रूख अपनाते हुए दोनों एयरलाइंस ने विशेष एकमुश्त छूट की घोषणा की है। इसमें बदलाव और यात्रा रद्द करने के शुल्क पूरी तरह माफ कर दिया गया है। ग्राहक पूछताछ के बढ़ते दबाव को देखते हुए दोनों एयरलाइंस ने अपने कॉन्टैक्ट सेंटर में अतिरक्ति कर्मचारियों की तैनाती की है।

एयर इंडिया: 91 11 6932 9333 और एयर इंडिया एक्सप्रेस: 91 124 443 5600 एवं 91 124 693 5600 पर संपर्क कर सकते हैं। दोनों एयरलाइंस अपने नेटवर्क में अधिकतम सीटों का उपयोग कर रही हैं। जहां भी संभव हो रहा है, इकोनॉमी क्लास के योग्य यात्रियों को मुफ्त में ऊपरी केबिन (प्रीमियम इकोनॉमी/बिजनेस) में अपग्रेड दिया जा रहा है ताकि कोई सीट खाली न रहे।
यात्रियों की दुर्दशा और व्यवस्था का पतन
हाल के वर्षों में भारतीय एविएशन में आए सबसे बड़े व्यवधान में यात्री रात भर एयरपोर्ट पर फंसे रहे, पूरे टर्मिनल असमंजस में घूमते यात्रियों से भरे पड़े थे और लगातार उड़ानें रद्द होती रहीं। यह पतन संशोधित ‘फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट’ (FDTL) नियमों के दूसरे चरण के लागू होने के तुरंत बाद शुरू हुआ। इन थकान-रोधी नियमों ने पायलटों की साप्ताहिक आराम की अवधि 36 से बढ़ाकर 48 घंटे कर दी, रात में लैंडिंग कम कर दी और नाइट ड्यूटी की परिभाषा को विस्तारित कर दिया।
संकट का कारण: पायलटों की कमी
इंडिगो ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को स्वीकार किया कि उसने इन नियमों से पैदा होने वाली कर्मचारियों की कमी को कम करके आंका और अचानक खुद को लगभग 300 पायलटों की कमी में पाया। इसके चलते बड़े पैमाने पर उड़ान रद्द हुईं, विमान अपनी निर्धारित रोटेशन से बाहर हो गए और इसके नेटवर्क में लहरदार व्यवधान पैदा हो गए।
पायलट यूनियनों का आरोप: यह संकट टाला जा सकता था
पायलट यूनियनों का कहना है कि यह संकट टाला जा सकता था। उनका तर्क है कि नए मानदंड जनवरी 2024 में पेश किए गए थे, जिससे एयरलाइनों को तैयारी के लिए लगभग दो साल का समय मिला। उन्होंने इंडिगो पर एक ‘असामान्य कम कर्मचारी रणनीति’ लागू करने, भर्ती में देरी करने, पायलटों की छुट्टी रोकने और यह जानते हुए भी सख्त आराम के नियम आने वाले हैं, विंटर शेड्यूल बढ़ाने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि आराम के नियमों को निलंबित या कमजोर करने से उड़ान सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
नियामक डीजीसीए की सख्त कार्रवाई
वहीं, नियामक संस्था डीजीसीए (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) ने सख्त रुख अपनाया है। नियामक ने इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स और सीओओ इसिड्रो पाब्लो पोर्क्युरस को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उनसे यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि परिचालन तत्परता सुनिश्चित करने में विफल रहने और देरी व कैंसिलेशन के दौरान अनिवार्य यात्री सुविधाएं प्रदान करने में असफल रहने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। डीजीसीए ने एयरलाइन पर योजना, निगरानी और संसाधन प्रबंधन में गंभीर चूक का भी आरोप लगाते हुए इस व्यवधान को ‘प्राथमिक रूप से नियमों का अनुपालन न करना’ बताया है।
डीजीसीए की अस्थायी राहत और शर्तें
इसी बीच, संकट के पैमाने को देखते हुए डीजीसीए ने दो महत्वपूर्ण एफडीटीएल मानदंडों – नाइट ड्यूटी की परिभाषा और नाइट आवर्स से सटे ऑपरेशन – में 10 फरवरी, 2026 तक के लिए एक बार की अस्थायी छूट को मंजूरी दे दी है। यह छूट सख्त पखवाड़िक रिपोर्टिंग के अधीन है और सिर्फ परिचालन को स्थिर करने के लिए है।