2017 से पहले अपराधियों को पकड़ने में सालों लग जाते थे, अब 24 से 48 घंटों में दबोचे जा रहे

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लखनऊ। भारतीय परंपरा में जब भी मंथन हुआ है, उससे कोई ना कोई अमृत जरूर निकला है। यह वैदिक काल से चली आ रही परंपरा है और इन परंपराओं के परिणाम स्वरूप ही हम देश में चार प्रमुख कुंभ स्थानों पर आयोजन देखते हैं। ये आयोजन भारत की पुरानी ज्ञान परंपरा को जीवित रखते हैं। यह समाज में एकता और विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम बनते हैं। इसी परंपरा के तहत लखनऊ में तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।

ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट आॅफ फॉरेंसिक साइंसेज के तीसरे स्थापना दिवस पर साइबर युद्ध के आयाम, बहुपक्षीय कानूनी ढांचे, फॉरेंसिक और रणनीतिक प्रतिकार विषय पर आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल समिट के उद्धाटन में कही। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पद्मश्री डॉ. लालजी सिंह एडवांस्ड डीएनए डायग्नोस्टिक सेंटर, एआई, ड्रोन और रोबोटिक्स लैब, अटल पुस्तकालय का उद्धाटन किया। इसके साथ ही छात्र-छात्राओं को स्मार्ट टैबलेट वितरित किया। इसके अलावा 75 मोबाइल फॉरेंसिक वैन का फ्लैग ऑफ किया।

प्रदेश के 1587 थानों में साइबर हेल्प डेस्क स्थापित किये गये, मास्टर ट्रेनर को भी किया गया तैनात

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने हमेशा ज्ञान के लिए सभी रास्तों को खोलने का समर्थन किया है। भारतीय संस्कृति का मानना है कि समय के साथ अपने आप को विकसित और तैयार करना अनिवार्य है। वर्ष 2017 से पहले अपराधियों को पकड़ने में सालों लग जाते थे, लेकिन अब 24 से 48 घंटों के भीतर अपराधियों को पकड़ लिया जाता है। इस बदलाव की मुख्य वजह टेक्नोलॉजी और फॉरेंसिक विज्ञान का बेहतर उपयोग है।

सीएम योगी ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में केवल चार फॉरेंसिक लैब थीं, जिनकी स्थिति भी ठीक नहीं थी। वही वर्तमान अब तक 12 नई लैब्स तैयार की जा चुकी हैं और छह अन्य निर्माणाधीन हैं। वहीं 75 जनपदों में फॉरेंसिक साक्ष्य को एकत्र करने के लिए मोबाइल फॉरेंसिक यूनिट्स उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रदेश में साइबर अपराधों से निपटने के लिए सभी 75 जनपदों में साइबर थाने की स्थापना की गई है, और 1587 थानों में साइबर हेल्प डेस्क भी स्थापित किए गए हैं। यहां मास्टर ट्रेनर के जरिये मामलों का निस्तारण किया जा रहा है।

प्रदेश को जल्द मिलेगा साइबर मुख्यालय, यूपी पुलिस को सशक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास हो रहे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2017 के बाद से हर अपराध में फॉरेंसिक साक्ष्य को अनिवार्य कर दिया गया है। जुलाई 2024 से सभी 7 वर्ष से ऊपर के अपराधों में फॉरेंसिक साक्ष्य प्राप्त करना अनिवार्य है। वहीं साइबर अपराधों के लिए यूपी पुलिस ने एक मजबूत कदम उठाये हैं। सीएम ने कहा कि साइबर अपराध को रोकने के लिए साइबर मुख्यालय की स्थापना की दिशा में कदम आगे बढ़ाया गया है। महाकुंभ के आयोजन में भी टेक्नोलॉजी का बेहतरीन उपयोग किया गया था, जिसकी सफलता ने इसे एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

उन्होंने कहा कि अब उत्तर प्रदेश पुलिस अपनी कार्यशैली में सुधार कर चुकी है और किसी भी अपराधी को कानून से बचने का कोई मौका नहीं मिलता है। यह केवल पुलिस बल की कड़ी मेहनत और स्मार्ट तकनीकी उपायों का परिणाम है। मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश पुलिस बल को आधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ अपने आप को अपडेट करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम समाज बना सकें। सरकार का यह प्रयास है कि देश की सबसे बड़ी यूपी पुलिस की ताकत को आधुनिक बनाने है, जो लगातार जारी रहेगा।

इसके साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस को आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां हमें गर्व से याद कर सकें। उन्होंने कहा कि सेमिनार वर्तमान की चुनौतियों से निपटने के लिए समाज को तैयार करेगा और भविष्य में उत्तर प्रदेश पुलिस को और भी बेहतर बनाएगा। इस अवसर पर डीजीपी राजीव कृष्ण, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव आईटी एंड इलेक्ट्रानिक अनुराग यादव, एडिशनल सेक्रेटरी आईटी भारत सरकार अभिषेक सिंह, एडीजी टेक्निकल नवीन अरोड़ा, उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फारेंसिक साइंसेज के निदेशक जीके गोस्वामी आदि उपस्थित थे।

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