ITR फाइलिंग की डेडलाइन बढ़ी: ऑडिटेड केस और कॉरपोरेट्स को मिली राहत, अब इस दिन तक फाइल कर सकेंगे टैक्स!

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नई दिल्ली: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन को लेकर सरकार ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी है। लंबे समय से चल रही मांग और कई राज्यों में खराब मौसम व बाढ़ जैसी परिस्थितियों को देखते हुए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने ऑडिटेड केस और कॉरपोरेट टैक्सपेयर्स के लिए ITR फाइलिंग की अंतिम तारीख 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 10 दिसंबर 2025 कर दी है। इस फैसले से लाखों बिजनेस मालिकों, कंपनियों और टैक्स प्रोफेशनल्स को राहत मिलेगी, जो समय पर रिटर्न भरने में दिक्कतों का सामना कर रहे थे।

CBDT का बड़ा ऐलान
CBDT ने बुधवार को जारी अपनी अधिसूचना में कहा कि आकलन वर्ष 2025-26 के लिए इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 139(1) के तहत रिटर्न फाइल करने की जो अंतिम तिथि 31 अक्टूबर थी, उसे अब बढ़ाकर 10 दिसंबर 2025 कर दिया गया है। इसके साथ ही पिछले वित्त वर्ष 2024-25 के ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की डेडलाइन भी बढ़ाई गई है, वो अब यह 10 नवंबर 2025 तक रहेगी।

टैक्सपेयर्स को क्यों मिली राहत?
टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक, इस साल देश के कई हिस्सों में भारी बारिश, बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं के कारण अकाउंटिंग और फाइलिंग की प्रक्रिया में देरी हुई है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में कंपनियों और ऑडिटेड केस वाले करदाताओं ने सरकार से समय बढ़ाने की मांग की थी। सरकार ने इन परिस्थितियों को देखते हुए यह कदम उठाया है ताकि टैक्सपेयर्स को अनुपालन में आसानी हो।

पहले भी बढ़ी थी तारीख
इससे पहले, CBDT ने ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की तारीख 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 की थी। यह दूसरी बार है जब टैक्स डिपार्टमेंट ने राहत देते हुए समय सीमा बढ़ाई है।

छोटे टैक्सपेयर्स के लिए पहले ही बढ़ी थी तारीख
पर्सनल टैक्सपेयर्स और HUFs (हिंदू अविभाजित परिवारों) के लिए सरकार पहले ही ITR फाइलिंग की डेडलाइन दो बार बढ़ा चुकी है, पहले 31 जुलाई से 15 सितंबर और फिर 16 सितंबर 2025 तक। इस दौरान सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 7.54 करोड़ से ज्यादा ITR फाइल किए गए, जिनमें से 1.28 करोड़ लोगों ने सेल्फ-असेसमेंट टैक्स भी जमा किया।

इस फैसले का क्या मतलब है?
सरकार का यह कदम न सिर्फ टैक्स प्रोफेशनल्स के दबाव को कम करेगा, बल्कि व्यवसायों को अपनी फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स तैयार करने के लिए पर्याप्त समय भी देगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से कंप्लायंस ईज बढ़ेगा और सरकार-टैक्सपेयर रिलेशन और बेहतर होंगे।

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