नई दिल्ली: पूर्वी एशिया में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने जापान के साथ संयुक्त उड़ान अभ्यास किया है। इसमें अमेरिका के परमाणु-सक्षम B-52 रणनीतिक बमवर्षक जापानी लड़ाकू विमानों के साथ जापान सागर के ऊपर उड़ान भरते दिखाई दिए। जापान के रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह अभ्यास क्षेत्र में हाल ही में चीन और रूस की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर किया गया है।
मंत्रालय के अनुसार, संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य किसी भी एकतरफा प्रयास द्वारा बलपूर्वक यथास्थिति बदलने की कोशिश को रोकने के प्रति दोनों देशों के मजबूत संकल्प को प्रदर्शित करना था। बयान में यह भी कहा गया कि इस अभ्यास ने जापान की सेल्फ डिफेंस फोर्स (SDF) और अमेरिकी सेना की तत्परता और समन्वित प्रतिक्रिया क्षमता की पुष्टि की। जानकारी के मुताबिक, बुधवार को दो अमेरिकी B-52 बमवर्षकों ने जापान के छह लड़ाकू विमानों के साथ फॉर्मेशन उड़ान भरी।
चीन-रूस की संयुक्त गतिविधियों के बाद कार्रवाई
यह अभ्यास ऐसे समय हुआ है जब चीन और रूस ने मंगलवार को पूर्वी चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त रणनीतिक बमवर्षक उड़ान भरी थी। इसके अलावा चीन के विमानवाहक पोत द्वारा किए गए अलग सैन्य अभ्यासों पर जापान ने प्रतिक्रिया देते हुए अपने लड़ाकू विमानों को भेजा था। टोक्यो ने आरोप लगाया कि उनके विमानों को रडार लॉक किया गया था, जो किसी भी संभावित खतरे की स्थिति का संकेत माना जाता है।
दक्षिण कोरिया ने भी भरे लड़ाकू विमान
दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा कि जब चीनी और रूसी विमानों ने उसके एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में प्रवेश किया, तो उसने भी अपने फाइटर जेट्स को आसमान में भेजा। हाल के दिनों में इन देशों की गतिविधियों ने कोरियाई प्रायद्वीप और जापान के आसपास की सुरक्षा स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है।

ताइवान पर टिप्पणी से नया कूटनीतिक विवाद
क्षेत्रीय तनाव उस समय और बढ़ गया जब जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने पिछले महीने ताइवान पर काल्पनिक चीनी हमले की स्थिति में टोक्यो की संभावित प्रतिक्रिया को लेकर बयान दिया था। बीजिंग ने उनकी टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
चीन लोकतांत्रिक रूप से संचालित ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और उस पर नियंत्रण पाने के लिए बल प्रयोग की संभावना से इनकार नहीं करता। ताइवान जापान के सबसे दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इस क्षेत्र के आसपास से गुजरने वाले समुद्री मार्ग जापान की ऊर्जा और व्यापार सप्लाई चैन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन पर नजर
अमेरिका-जापान का यह संयुक्त अभ्यास न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है बल्कि क्षेत्रीय सहयोगियों विशेषकर दक्षिण कोरिया और ताइवान को सुरक्षा आश्वासन देने की रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले दिनों में पूर्वी एशिया में ऐसे सैन्य अभ्यास और कूटनीतिक तनाव और बढ़ सकते हैं।